गुजरात मे चुनावों की घोषणा से कुछ दिन पहले ही गृह मंत्रालय ने गुजरात के दो जिलों आंनद, मेहसाणा के जिला कलेक्टर को ये अधिकार दिया कि वो अपने लेवल पर जांच करके पाकिस्तान से विस्थापित होकर भारत आए हिंदू परिवारों को नागरिकता दे दे. इसे गुजरात चुनाव से पहले हिंदुत्त्व की राजनीति में बड़े दांव के तौर पर देखा जा रहा है.
मेहसाणा जिले के ग्रामीण इलाके में एक कॉलोनी बनाई गई है जिसे नाम दिया गया है सहकार कॉलोनी. इस कॉलोनी में करीब 27 ऐसे परिवारों को बसाया गया है जो पाकिस्तान से विस्थापित होकर भारत आए हैं. इनमें से कुछ लोग 2017 में आये हैं तो कुछ 2019 में.
शुरुआत में 45 दिन का मिलता है वीजा
शुरुआत में इन्हें 45 दिनों का वीजा मिलता है, इसके बाद 5 साल का लॉन्ग टर्म वीजा दिया जाता है और फिर ये नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं. इसके साथ ही इन्हें एक लोकल शख़्स की भी ज़रूरत पड़ती है जो इन लोगों के लिए गारंटर का काम करता है.
'पाकिस्तान में नहीं थी आजादी'
जी न्यूज की टीम इसी सहकार कॉलोनी में यह जानने के लिए पहुंची की अब जब ये लोग भारत आ चुके हैं, तो इनका जीवन यापन कैसे चल रहा है, पहले जब ये पाकिस्तान में रहते थे तो इन्हें किन परेशानियों का सामना करना पड़ता था. यह जी न्यूज की टीम को मिला धर्मा. धर्मा के दादाजी बंटवारे के वक्त पाकिस्तान में रह गए थे. आज़ादी के बाद से ही इन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. इन्हें सिर्फ उर्दू भाषा ही लिखनी आती है. इनकी बच्चियों के लिए आगे पढ़ने लिखने की सुविधा नहीं थी, साथ ही बच्चियों की सुरक्षा को लेकर हमेशा खतरा बना रहता था. जब भारत-पाकिस्तान का मैच होता था, तब भी ये लोग निशाने पर होते थे, जब से भारत आए हैं तब से हिंदू त्योहारों को पूरे उत्साह के साथ मना रहे हैं.
इन लोगों के लिए अब मोदी जी किसी भगवान से कम नहीं है. इन्हें उम्मीद है कि इन्हें जल्द ही भारत की नागरिकता मिल जाएगी. CAA का कानून इन जैसे हिंदू परिवारों के लिए बहुत अहमियत रखती है.