हिमाचल प्रदेश में इस बार सभी राजनीतिक दलों की निगाह आधी आबादी पर है. प्रदेश में 48 प्रतिशत महिलाएं है. महिलाए विधानसभा चुनाव के रुख को मोड़ सकती है. प्रदेश में राजनीतिक दल गांवों और कस्बों में महिलाओं का समर्थन हासिल करने के लिए तरह-तरह की घोषणाएं कर रहे हैं. राज्य के कुल 55.9 लाख मतदाताओं में महिलाओं की संख्या 27.3 लाख है. हर उम्मीदवार महिला मतदाताओं तक अपने संदेश पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी केंद्र की महिला केंद्रित योजनाओं पर भरोसा कर रही है, चाहे वह उज्ज्वला योजना हो या प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई आयुष्मान भारत. कांग्रेस ने 18 वर्ष के ऊपर की हर महिला को 1,500 रुपये मासिक भत्ता देने का वादा किया है. आम आदमी पार्टी ने भी महिलाओं के लिए 1,000 रुपये प्रति माह भत्ता देने का वादा किया है.
महिला सशक्तिकरण का आह्वान
हिमाचल की 68 विधानसभा सीटों पर भले ही सिर्फ 15 महिला उम्मीदवार ही चुनाव लड़ रही हों, लेकिन इससे राजनीतिक दलों की अपने चुनावी भाषणों में लैंगिक सशक्तिकरण कीअपील पर कोई असर नहीं पड़ा है.
कांग्रेस उम्मीदवार सुधीर शर्मा कहते हैं, “हमने हर महिला को आर्थिक रूप से स्थिर होने में मदद करने के लिए प्रति माह 1,500 रुपये देने का वादा किया है. नहीं तो सड़क सोने की भी होगी, तब भी लोग को फर्क नहीं पड़ेगा. अन्य दलों के विपरीत, हमारा ध्यान मुख्य रूप से रोजगार के माध्यम से आजीविका में सुधार पर है. ”वह अपनी बात को घर तक पहुंचाने के लिए महिलाओं द्वारा चलाए जा रहे अमूल के गुजरात के मॉडल का हवाला देते हुए झेल गांव में महिला मतदाताओं की एक सभा को संबोधित कर रहे थे.
हिमाचल प्रदेश में महिला साक्षरता दर 73.5 प्रतिशत है, माना जाता है कि हिमाचल में महिलाएं स्वतंत्र रूप से मतदान करती हैं, परिवार के अन्य सदस्यों की इच्छा से वे अपना मतदान नहीं करती हैं, और यह एक निर्णायक कारक हो सकता है क्योंकि राज्य में 12 नवंबर को चुनाव होने हैं. 2017 में पिछले राज्य के चुनावों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने अधिक मतदान किया. महिलाओं में मतदान प्रतिशत 78 प्रतिशत से बहुत अधिक था, जबकि पुरुषों में यह केवल 70 प्रतिशत था.