धनतेरस कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि शाम 6 बजकर 3 मिनट से शुरू हो रही है. जो रविवार को त्रयोदशी तिथि शाम 6 बजकर 4 मिनट पर खत्म होगी. इस साल धनतेरस का त्योहार दो दिवसीय होगा. देवताओं के प्रधान चिकित्सक भगवान धनवंतरि के जन्मोत्सव के रूप में यह पर्व मनाया जाता है. धनतेरस के दिन सोने, चांदी के आभूषण और धातु के बर्तन खरीदने की परंपरा है. शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि इससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है, संपन्नता आती है और माता महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.

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पूजन 23 अक्टूबर को किया जाएगा

ज्योतिषाचार्य अमित जैन का कहना है कि शास्त्रों के अनुसार प्रदोष काल व्यापनी त्रयोदशी में ही दीप दान होगा धनतेरस पर कुबेर-लक्ष्मी का पूजन सायंकाल में किया जाता है. इसलिए त्रयोदशी तिथि सायंकाल में होने से धनतेरस 22 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी. वहीं खरीदी का अन्य शुभ कार्य 22, 23 अक्टूबर को भी किए जा सकेंगे. जबकि धनवंतरि जयंती उदयकालिक त्रयोदशी तिथि में मनाई जाती है इसलिए धनवंतरि जयंती पर भगवान धनवंतरि का पूजन 23 अक्टूबर को किया जाएगा. 23 को पूरे दिन सर्वार्थसिद्धि योग रहेगा. इसलिए हर तरह की खरीदारी, निवेश और नई शुरूआत के लिए पूरे दिन शुभ मुहूर्त रहेंगे. इस तरह धनतेरस 22 और 23 दोनों दिन मनाया जाएगा. 22अक्टूबर को सायंकाल में यम की प्रसन्नता के लिए दीपदान भी किए जाएंगे. आज से पंचदिवसीय महापर्व का आगाज शुरू हो जाएगा.

धनतेरस के दिन मुख्य द्वार पर 13 दीप जलाएं

धनतेरस के दिन यमराज के लिए जिस घर में दीपदान किया जाता है. कहा जाता हैं कि वहां अकाल मृत्यु नहीं होती है, धनतेरस की शाम को मुख्य द्वार पर 13 और 13 ही दीप घर के अंदर जलाने चाहिए.  यमराज के निमित्त दीपक घर के बाहर दक्षिण की तरफ मुख करके जलाना चाहिए. दरअसल, दक्षिण दिशा यम की दिशा मानी जाती है. ऐसा भी माना जाता है कि घर में दीया घूमाने से इस दिन सारी नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है.