अब थलसेना भी ब्रिटिश-युग की प्रथाओं की समीक्षा करने जा रही है, जिसका अब भी सेना में पालन किया जा रहा है. इस समीक्षा के बाद यह देखा जाएगा कि इनमें से कितनी परंपराओं और निशानियों को खत्म किया जा सकता है. के अनुसार, इनमें से कुछ विरासत प्रथाओं को खत्म करने को लेकर दो साल से अधिक समय से चर्चा चल रही है और कुछ बदलाव भी लागू किए गए हैं.पिछले साल मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गुजरात के केवड़िया में संयुक्त कमांडरों के सम्मेलन में सशस्त्र बलों के सिद्धांतों, प्रक्रियाओं और रीति-रिवाजों के साथ-साथ सैन्य उपकरणों में स्वदेशीकरण को बढ़ाने के बारे में बात करने के बाद इन योजना को गति मिली.