उद्योगों की नींव रखने के लिए टाटा परिवार के मशहूर उद्योगपति जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा का नाम सबसे पहले आता है। उन्होंने स्टील, इंजीनियरिंगए होटल, ऑटोमोबाइल के विकास में बड़ा योगदान दिया।देश में सिविल एविएशन की नींव रखने का श्रेय भी जेआरडी टाटा को ही है।जेआरडी टाटा उस समय महज 15 साल की उम्र में पहली बार प्लेन में बैठे थे। उस समय की उन्होंने तय कर लिया था कि वह इसी फील्ड में करियर बनाएंगे। उसके बाद 24 साल की उम्र में कॉमर्शियल पायलट का लाइसेंस लेने वाले वह पहले व्यक्ति थे। 1930 में उन्होंने आगा खान कम्पटीशन में भाग लेने के लिए भारत से इंग्लैंड के बीच अकेले सफर किया था।
जेआरडी टाटा ने प्लेन से अपनी इच्छा के अनुसार 1932 में टाटा एयरलाइंस को शुरू किया। उस समय टाटा एयरलाइंस ने कराची से मुंबई की पहली उड़ान भरी थी। बाद में टाटा एयरलाइंस का नाम बदलकर एयर इंडिया रख दिया गया। 1946 में एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण हो गया था। अब फिर 2022 में टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया का अधिग्रहण कर लिया है।एयर इंडिया के राष्ट्रीयकरण के बाद भी टाटा एयर इंडिया से जुड़े रहे। यह उनका इसके लिए प्यार और समर्पण ही था। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1953 में जेआरडी टाटा को एयर इंडिया का चेयरमैन बनाया था। टाटा ने 25 साल तक इस पद पर काम किया। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने एयर इंडिया को नई बुलंदियों पर पहुंचाया।
जेआरडी टाटा की एयर इंडिया की हर छोटी से छोटी चीज पर नजर रखते थे। इसमें यात्रियों को दी जाने वाली सर्विस से लेकर काम करने वालों की यूनिफॉर्म तक शामिल थी। जेआरडी टाटा अपनी हर यात्रा के बाद एयर इंडिया के मैनेजमेंट को एक Blue Note भेजते थे। इसमें वह अपना अनुभव लिखते थे।एयर इंडिया से उनके लगाव का एक उदाहरण यह है कि एक उड़ान के दौरान वह खुद जाकर टॉयलेट में टॉयलेट पेपर बदलने चले गए थे। उस फ्लाइट में उनके साथ आरबीआई के पूर्व गवर्नर एलके झा सफर कर रहे थे।