हरियाणा सरकार फसल अवशेष प्रबंधंन स्कीम के तहत सीटू व एक्स सीटू मैनेजमेंट के जरिए किसानों को प्रति एकड़ एक हजार रुपए उपलब्ध करा रही है. इस स्कीम का लाभ लेने के लिए के लिए किसान को मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकरण करना अनिवार्य है.
खरीफ की फसलों की बुवाई लगभग खत्म हो चुकी है. 3-4 महीने में फसलों की कटाई का वक्त आ जाएगा. ऐसे वक्त में किसानों के सामने फसल अवशेष प्रबंधन की समस्या सरकार और किसान के सामने खड़ी हो जाती है. सरकार द्वारा किसानों को लगातार पराली ना जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है.
सरकार दे रही है किसानों को प्रति एकड़ एक हजार रुपये
अब हरियाणा सरकार फसल अवशेष प्रबंधन स्कीम के तहत सीटू व एक्स सीटू मैनेजमेंट के जरिए किसानों को प्रति एकड़ एक हजार रुपए उपलब्ध करा रही है. इस स्कीम का लाभ लेने के लिए के लिए किसान को मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकरण करना अनिवार्य है.
किसान इस तरह कमा सकता है मुनाफा
अब सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं का लाभ उठाकर अब आसानी से फसलों के अवशेष का प्रबंधन भी किया जा सकता है और इससे अच्छा खासा मुनाफा भी कमाया जा सकता है. सरकार किसानों बेलर मशीनों के माध्यम से पराली की गांठें बनाई जाएंगी बेचने की सुविधा उपलब्ध करा रहा है. इससे किसानों की आय में इजाफा होगा
किसानों को पराली प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. धान के फानों को जमीन में मशीनों के सहारे दबाया जाने की प्रकिया भी बताई जा रही है. ऐसा करने से जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ाता है.
मशीनों पर भी सब्सिडी
बता दें सरकार फसल अवशेष प्रबंधंन स्कीम के तहत किसानों के सब्सिडी पर 50 से 60 प्रतिशत सब्सिडी पर खेती की मशीनें भी उपलब्ध करा रही
गिरते भूजल स्तर पर भी चिंतित सरकार
इन सबके अलावा खट्टर सरकार जमीन के गिरते भूजल स्तर पर भी चिंतित है. इस स्थिति से भी निपटने के लिए भी हरियाणा सरकार फसल विविधिकरण योजना के तहत किसानों के धान की जगह कपास और दलहनी फसल लगाने के लिए प्रोत्साहित किया है. ये फसलें लगाने वाले किसानों को प्रति एकड़ 7 हजार की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. पिछले साल भी हरियाणा सरकार ने किसानों को धान की जगह वैकल्पिक फसलों को लगाने पर प्रोत्साहन राशि देने का फैसला दिया गया था.