मोदी सरकार के पहले कार्यकाल और दूसरे कार्यकाल में एक बात पर जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है वो है देश भर में तेजी से सड़कों, हाइवे और एक्सप्रेस-वे का निर्माण।कोने में तेजी से सड़कों का जाल बिछने से देश की प्रगति को नई रफ्तार मिली है. इससे साथ ही इसके चलते देश के हर कोने में विकास की बयार तेजी से पहुंच रही है. वर्ष 2018 में जारी एक आंकड़े के मुताबिक मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल के पहले चार साल में यूपीए सरकार की तुलना में 73 प्रतिशत अधिक हाइवे बनाए थे.
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प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में कार्यकाल संभालने के बाद से ही देश के सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश में बड़े स्तर पर सड़कों का जाल बिछाने को सबसे अहम प्राथमिकता दी. उत्तर प्रदेश कहने को तो देश का सबसे बड़ा प्रदेश है, लेकिन सालों तक विपक्ष के शासन के दौरान सड़कों के विकास पर कोई ध्यान नहीं दिया गया था. यूपी के एक छोर से दूसरे छोर तक जाना एक टेड़ी खीर था. तमाम विपक्षी सरकारों ने दशकों तक सड़कों पर कोई ध्यान नहीं दिया और ये क्षेत्र वर्षो तक उपेक्षा झेलता रहा. मुख्यमंत्री पद का कार्यकाल संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले आगरा और लखनऊ के बीच निर्मित यमुना एक्सप्रेस-वे का निर्माण पूरा कराया. जिसका अधूरा काम उन्हें अखिलेश यादव सरकार से विरासत में मिला था. पीएम मोदी के नेतृत्व में योगी आदित्यनाथ ने ना सिर्फ 302 किलोमीटर लंबे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे का काम पूरा किया बल्कि यूपी को 641 किलोमीटर लंबे कई अन्य एक्सप्रेस-वे की सौगात भी दी.
पीएम मोदी के नेतृत्व में योगी सरकार ने देश के सबसे बड़े एक्सप्रेस-वे पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का निर्माण पूरा कराया. 340 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस-वे का निर्माण 22 हजार करोड़ रुपये से अधिक की लागत से किया गया है. पीएम मोदी ने जुलाई 2018 में इसकी नींव रखी थी. इस एक्सप्रेस-वे ने उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग के लोगों को देश से राजधानी दिल्ली के करीब लाने में अहम भूमिका निभाई. उत्तर प्रदेश में 6 एक्सप्रेस-वे पहले से संचालित हैं और सात एक्सप्रेस-वे निर्माणाधीन हैं.उत्तर प्रदेश में इस समय गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे (91 किलोमीटर), गंगा एक्सप्रेस-वे (594 किलोमीटर), लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेस-वे (63 किलोमीटर), गाजियाबाद-कानपुर एक्सप्रेस-वे (380 किलोमीटर) और अन्य एक्सप्रेस-वे निर्माणाधीन हैं.91 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेस-वे गोरखपुर जिले के जैतपुर से प्रारंभ होगा और पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से मिलेगा. इस परियोजना का निर्माण 5,876 करोड़ रुपये से किया जा रहा है.
एक्सप्रेस-वे बनने के बाद गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) निवेश के लिए इच्छुक फर्मों को जमीन उपलब्ध कराने के काम में तेजी से जुटा है. इस एक्सप्रेस-वे के दोनों ओर औद्योगिक गलियारा विकसित कर मल्टीनेशनल कंपनियों को आकर्षित किया जाएगा.यूपी में इस समय 63 किलोमीटर लंबे लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेस-वे के निर्माण की योजना पूरी हो चुकी है और अगस्त से इस पर काम शुरू होगा. ढाई साल में पूरे होने वाले इस एक्सप्रेस-वे से कानपुर और लनखऊ की जनता को दोनों शहरों के बीच आने-जाने के लिए एक अत्याधुनिक एक्सप्रेस-वे की सुविधा मिलेगी और दोनों शहरों और इससे जुड़े इलाकों में औद्योगिक विकास को पंख लगेंगे.कानपुर और गाजियाबाद के बीच बनने वाले एक्सप्रेस-वे का निर्माण 2025 तक पूरा होने की संभावना है. ये एक्सप्रेस-वे गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, कासगंज, फर्रूखाबाद, कन्नौज, उन्नाव और कानपुर को जोड़ेगा.गंगा एक्सप्रेस-वे यूपी का सबसे लंबा एक्स्प्रेस-वे होगा. 594 किलोमीटर लंबा ये एक्सप्रेस-वे मेरठ से प्रयागराज को जोड़ेगा. इस एक्सप्रेस-वे के बनने से 12 जिलों मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ और प्रयागराज जिले को लाभ मिला था यूपी में तेजी से बिछाए जा रहे एक्सप्रेस-वे का जाल ना सिर्फ लोगों को आवागमन की सुविधा देगा बल्कि ये यूपी को विकास के अगले पायदान पर भी पंहुचाएगा. योगी सरकार की योजना एक्सप्रेस-वे के निकट विभिन्न जिलों से जुड़े खास उद्योगों से जुड़े क्लस्टर स्थापित करने की भी है ताकि एक्सप्रेस-वे बनने के बाद निवेशकों को तेजी से आकर्षित किया जा सके. इस कदम के दो लाभ होंगे. स्थानीय निवासियों को बेहतर रोजगार के अवसर देने के साथ-साथ ये स्थानीय उद्योगों को अपने उत्पाद देश के हर कोने तक तेजी से पहुंचाने में भी अहम कारगर साबित होंगे.