गुलाम नबी आज़ाद ने कांग्रेस पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देकर असंतोष की चिंगारी जो सुलगा दी है, उसकी धमक महाराष्ट्र तक आ चुकी है. शुक्रवार को ग़ुलाम नबी आज़ाद द्वारा पार्टी नेतृत्व पर उठाए गए सवाल को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने सही बताते हुए कहा कि कांग्रेस को आत्मपरीक्षण की ज़रूरत है.अब यह खबर आई है कि महाराष्ट्र कांग्रेस की कार्यकारिणी बैठक में एक पदाधिकारी ने साफ कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि राज्य महा विकास आघाड़ी सरकार गिर गई. ढाई सालों से सब पैसे खा रहे थे.

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खबर यह भी सामने आई है कि जब यह पार्टी पदाधिकारी अपनी बात रख रहे थे कुछ अन्य कांग्रेसी नेता उनकी हां में हां मिलाते हुए यह चिल्ला रहे थे कि, ‘ठीक कहा, ठीक कहा.’ कांग्रेस पदाधिकारी के इस बयान के बाद मीटिंग में मौजूद महाराष्ट्र कांग्रेस के वर्तमान नेतृत्व को एकदम से ऐसा झटका लगा कि कुछ पलों के लिए वे एकदम चुप बैठ गए.पूर्व मेयर का गुस्सा फूटा, नेतृत्व को थोड़ी देर तक कुछ नहीं सूझानवी मुंबई के पूर्व डिप्टी मेयर रमांकांत म्हात्रे इस मीटिंग में कह बैठे कि, ‘पार्टी के सभी मंत्री ढाई सालों से बस पैसे खा रहे थे. कोई भी कार्यकर्ता मिलने जाता था तो वे हम जैसे कार्यकर्ताओं को घंटों बाहर बैठा रहे थे. इसलिए महा विकास आघाड़ी सरकार गिरने से सबसे ज्यादा खुशी हम जैसे आम कार्यकर्ताओं को हुई है.’

सीनियर लीडर बालासाहेब थोरात बोले सुलझा लिया गया विवादमहाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस समिति की विस्तारित कार्यकारिणी बैठक मुंबई में आयोजित की गई थी. इस बैठक में महाराष्ट्र कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले समेत अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सचिव आशीष दुआ, सोनल पटेल समेत ठाकरे सरकार के कई पूर्व मंत्री, पदाधिकारी और बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद थे. इसी बैठक में कुछ पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने खुलकर पार्टी नेतृत्व को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की. केंद्रीय नेताओं के सामने ऐसे आरोप लगाए जाने के बाद पार्टी के अंदर फूट, गुटबाजी और असंतोष एकदम से सामने आ गए.

हालांकि बाद में पार्टी के सीनियर लीडर बालासाहेब थोरात यही कहते रहे कि कुछ पदाधिकारियों में जरूर कुछ बातों को लेकर नाराजगी थी, लेकिन उन्हें अब मना लिया गया है और उनकी नाराजगी दूर की गई है.

विधान परिषद में हुई क्रॉस वोटिंग में शामिल नेताओं का मुद्दा उठाइस मीटिंग में यह मुद्दा भी उठा कि विधान परिषद में जो सात से आठ कांग्रेसी विधायकों पर यह आरोप है कि उन्होंने पैसे लेकर बीजेपी के उम्मीदवारों को वोट दिया, उस पर सीनियर लीडर मोहन प्रकाश ने रिपोर्ट तैयार कर हाई कमांड को भेजी थी, उस पर क्या कार्रवाई हुई? कल यह बात पृथ्वीराज चव्हाण ने भी उठाई थी. कहा जा रहा है कि उन नेताओं को इस डर से माफ कर दिया गया है कि कांग्रेस के अंदर से भी कोई शिंदे जैसा गुट ना निकल आए, इसलिए फिलहाल पार्टी को टूट से बचाया जाए. हालांकि बाहर आकर मीटिंग की बातों को कोई खुल कर नहीं बता रहा है लेकिन इतना तो तय है कि महाराष्ट्र कांग्रेस में सब स्मूथ नहीं जा रहा है.