पश्चिम बंगाल (West Bengal) की एक जेल में चार साल से बंद दो आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) ने शनिवार को जमानत दे दी। कोर्ट ने कहा कि बगैर ट्रायल के किसी को अधिक दिनों तक बंदी बनाए रखने की इजाजत नहीं दी जा सकती।साल 2018 में 414 किलोग्राम गांजा को जब्त करने के मामले में गिरफ्तार किए गए पहले गवाह से पूछताछ अब तक नहीं की गई है। अदालत ने यह भी कहा कि यदि याचिकाकर्ता ट्रायल में देरी की मांग करता है, 'हम ट्रायल कोर्ट को इस बात की अनुमति देंगे कि याचिकाकर्ता को दोबारा कैद में रखा जाए।'
बिना किसी सुनवाई के बंदी बनाकर रखना सही नहीं- SCजस्टिस एसके कौल और पीएस नरसिम्हा की बेंच ने बताया कि चार्जशीट फाइल की गई थी और आरोप दर्ज कराए गए थे लेकिन मामले में आगे सुनवाई नहीं हुई। बेंच ने कहा, 'हम इस तरह के मामलों को इजाजत नहीं दे सकते जिसमें बिना किसी सुनवाई के किसी को लंबे समय तक जेल में बंद कर रखा जाए।' कोर्ट ने कहा, 'इस मामले में चार साल से जेल में आरोपियों को बंद कर रखा गया लेकिन अब तक पहले गवाह से भी किसी तरह की पूछताछ नहीं की गई है। ट्रायल कोर्ट दिए गए नियमों के अनुसार याचिकाकर्ताओं को जमानत मिलनी चाहिए, इसी अनुसार आदेश दिया गया है।' साथ ही कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनवाई के लिए निर्धारित तारीखों पर याचिकाकर्ताओं की उपस्थिति अनिवार्य होगी। इनके एडवोकेट सुनवाई में स्थगन की मांग नहीं सकेंगे।
कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को दी थी चुनौती
कलकत्ता हाई कोर्ट ने नवंबर 2021 में दिए गए अपने आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को शीर्ष कोर्ट ने मंजूरी दे दी। बता दें कि हाई कोर्ट ने इनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया था जो साल 2018 में दर्ज किए गए नार्कोटिक्स जब्त करने के मामले में है जो नार्कोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्स्टांसेज एक्ट के तहत अपराध की श्रेणी में आता है। हाई कोर्ट ने स्पेशल कोर्ट को निर्देश दिया था