भारतीय शास्त्रों में शनि को न्याय का ग्रह देव माना गया है. शनिवार को ही सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में ललित युग का उदय हो रहा है. यानी जस्टिस उदय उमेश ललित के 49 वें मुख्य न्यायाधीश पद के शपथ ग्रहण की साक्षी बन रही हैं परिवार की चार पीढियां.बॉम्बे से दिल्ली आने के बाद मयूर विहार के फ्लैट से शुरू हुआ पेशेवर जीवन अब राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में शपथ ग्रहण तक पहुंचा. अगले 74 दिन देश की न्यायपालिका को एक सुघड़ नेतृत्व देने के हैं. सुधार की एक नई व्यवस्था की अगुआई करने के हैं.
दिल्ली में अपनी अलग शैली से वकालत के क्षेत्र में धाक जमाते हुए टॉप के क्रिमिनल लॉयर के रूप में पहचान बनाई. उन्होंने साबित किया कि अपने नायाब तर्कों, दलीलों से सौम्य व्यक्तित्व वाला मृदु भाषी व्यक्ति कैसे मुकदमे और दिल जीतता है. कानून की स्पष्ट समझ, सुलझा हुआ व्यक्तित्व और कानून की पेचीदगी समझाने की सरल शैली जस्टिस ललित को भीड़ से अलग और ऊपर करती है.
दादा और पिता भी थे वकील
जस्टिस ललित के 90 वर्षीय पिता उमेश रंगनाथ ललित और परिवार के सबसे छोटे सदस्यों के रूप में पोते पोतियां भी शपथ ग्रहण समारोह में लोगों की निगाहों के केंद्र हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जस्टिस ललित को देश के मुख्य न्यायाधीश को शपथ दिला रही हैं. जस्टिस ललित के परिवार में एक सदी से ज्यादा समय यानी कई पीढ़ियों से विधि और न्यायशास्त्र के विद्वान रहे हैं. जस्टिस ललित के दादा रंगनाथ ललित महाराष्ट्र के सोलापुर में वकालत करते थे जबकि पिता उमेश रंगनाथ ललित ने सोलापुर से वकालत शुरू की. मुंबई और महाराष्ट्र में वकालत में नाम कमाया और फिर मुंबई हाई कोर्ट में जज भी बने.
नोएडा में स्कूल चलाती हैं पत्नी
हां, जस्टिस उदय उमेश ललित की पत्नी अमिता उदय ललित का पेशेवर जीवन वकालत से नहीं जुड़ा है. वो पेशे से शिक्षाविद हैं और नोएडा में दशकों से बच्चों का स्कूल चलाती हैं. अगली पीढ़ी में दो पुत्र हैं जस्टिस ललित और अमिता ललित के बड़े बेटे श्रेयस और उनकी पत्नी रवीना दोनों पेशेवर वकील हैं. श्रेयस ने आईआईटी गुवाहाटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद वकालत को पेशा बनाया है. छोटा बेटा हर्षद अपनी पत्नी राधिका के साथ अमेरिका में पेशेवर जीवन में है.