पाकिस्तान से बड़ा मक्कार मुल्क कोई नहीं. झूठ, फरेब और पाखंड में भी पाकिस्तान का कोई सानी नहीं. 4 महीने पहले शहबाज शरीफ सत्ता में आए. 22 करोड़ अवाम को नया पाकिस्तान बनाने के ख्वाब दिखाए.लेकिन नया पाकिस्तान वेंटिलेटर पर है. हालात श्रीलंका जैसे हैं. इतिहास में ऐसी गुरबत पाकिस्तान ने कभी नहीं देखी. मुल्क का मुस्तबिल खतरे में है. पाकिस्तान का गुमान टूट हो चुका है. ऐसे में पाकिस्तान के हुक्मरानों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी याद आए. नई निजामत के नए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए तड़प रहे हैं. वो भी तब जब कश्मीर पर मोदी की नई का नीति का डंका इस्लामाबाद में बज रहा है. आखिर पाकिस्तान की इस बौखलाहट के क्या माइने हैं पढि़ए ये स्पेशल रिपोर्ट…
दरअसल अब आया पाकिस्तान के गुमान का ऊंट पहाड़ के नीचे. अब अंदाजा हुआ पाकिस्तान को अपनी हैसियत का. पाकिस्तान के गुमान का गुब्बार फटने में 75 साल लग गए. पाकिस्तान घुटनों पर हैं. पाकिस्तान गिड़गिड़ा रहा है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पीएम मोदी से एक मुलाकात के लिए तड़प रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई कश्मीर नीति से पाकिस्तान क्यों बौखला उठा है.
पाकिस्तानी मीडिया का कहना है कि भारतीय हुकूमत की अब हमें बात करनी है जिसका जम्मू-कश्मीर में आम भारतीयों को विधानसभा चुनाव में वोट डालने की इजाजत देकर तमाम करार की धज्जियां उड़ा दीं. भारत के एक मुख्य चुनाव अधिकारी हैं हरदेश कुमार सिंह उन्होंने एक बयान दिया जिसमें उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में रहने वाले अस्थाई लोग भी विधानसभा चुनाव में वोट डाल सकते हैं. इस फैसले के बाद नई वोटर लिस्ट में तकरीबन 20 से 25 लाख वोटर शामिल किए जाएंगे.
पाकिस्तान को पहले भी मिला झटका
दिन सोमवार, तारीख 5 अगस्त, 2019. इतिहास के पन्नों में दर्ज ये वो तारीख है. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर पर पाकिस्तान का 370 का चालान काटा. तीन साल से ज्यादा अरसे में पाकिस्तान ने कश्मीर पर कई प्रपंच किए. घड़ियाली आंसू बहाए. संयुक्त राष्ट्र से लेकर मुस्लिम मुल्कों तक में मुद्दा उठाया. लेकिन हर चौखट पर पाकिस्तान को मायूसी मिली. आज का कश्मीर आगे बढ़ रहा है. आर्टिकल 370 हटने के साथ ही जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य दर्जा खत्म हुआ. पहले कश्मीर में सिर्फ स्थानीय लोगों को ही वोट डालने का अधिकार था. लेकिन अब देश के दूसरे हिस्सों जैसा नियम कश्मीर में लागू है. कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.
पीएम मोदी की नई कश्मीर नीति क्या है?
इस साल राज्य में 25 लाख नए वोटर जुड़ने की उम्मीद है. राज्य में अब विधानसभा में सीटों की संख्या 83 से बढ़ाकर 90 कर दी गई है. नए चुनाव में 2014 और 2018 जैसी स्थिति नहीं रहने वाली है. बदलते कश्मीर की इसी झांकी से पाकिस्तान को मिर्ची लग रही है. मोदी नीति से पाकिस्तान बौखलाहट में हैं.पाकिस्तानी मीडिया का कहना है कि मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में अस्थाई तौर पर रहने वाले भारतीयों को वोट का हक दे दिया. भारत का कोई भी शहरी जो दिल्ली से कश्मीर में कारोबार कर रहा है, शिक्षा हासिल कर रहा हो या कोई भी काम कर रहा हो रियासती असेंबली में वोट डालने का हकदार है. बयान के मुताबिक कहा गया है कि जिनकी उम्र अक्टूबर 2022 को 18 साल की होगी या जो इससे पहले इस उम्र के हो गए हैं वो इस वक्त में वोटर लिस्ट में अपना नाम शामिल करवा सकते हैं. अस्थाई तौर पर रहने वाले भारतीयों को भी वोट देने पर कोई पाबंदी नहीं है. इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई जम्मू-कश्मीर में कितने वक्त से रह रहा है. जो लोग यहां किराए पर रह रहे हैं वो भी वोट डाल सकते हैं. जम्मू कश्मीर में 25 नवंबर को वोटर लिस्ट जारी की जाएगी.
कश्मीर पर छाती पीटना पाकिस्तान की पुरानी रिवायत है. कश्मीर ही है जिसकी चाहत में पाकिस्तान की कई पुश्तें गर्त हो गई. इधर कश्मीर पीएम मोदी की नीति से पाकिस्तान सदमे है. उधर पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक मुलाकात के लिए तड़प रहे हैं. जिस पर पाकिस्तानियों की त्योंरियां चढ़ चुकी हैं. पाकिस्तान घुटनों पर क्या आया अवाम अपनी नई निजामत को धिक्कार रही है.
रक्षा विशेषज्ञ ने कही ये बात
पाकिस्तान के रक्षा विशेषज्ञ कमर चीमा का कहना है, ‘मैं देख रहा हूं कि पाकिस्तान के जो प्रधानमंत्री हैं उन्होंने इस्लामाबाद में ऑस्ट्रेलिया के राजदूत से बात की और कहा कि वो चाहते हैं कि भारत के साथ रिश्ते अच्छे हों. ये अच्छी बात है कि भारत के साथ रिश्ते अच्छे हो लेकिन क्या पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को एंबेसडर से कोई बड़ा ओहदा नहीं मिला था दुनिया में जिससे वो ये बात कर सके कि हमें इंडिया से अच्छे रिश्ते चाहिए. बिल्कुल अच्छे रिश्ते चाहिए लेकिन आपने कभी ये इच्छा इंडिया से भी सुनी है कि वो पाकिस्तान से रिश्ते सामान्य करना चाहते हैं. आपने कभी नहीं सुनी आपको पता है कि वहां पर किस तरह का माइंड सेट है. तो ये जो बाहर से राजदूत आ रहे हैं तो इन्हें क्यों बता रहे हैं इन्हें तो बताना चाहिए कि इंडिया हमसे बात नहीं कर रहा उस पर दवाब डालें.
4 महीने से ज्यादा वक्त गुजर गया शरीफ साहब को सत्ता में आए. 4 महीनों में शरीफ साहब ने पाकिस्तान का बंटाधार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. टैक्स का कोड़ा हो या महंगाई बम. अवाम 4 महीनों में जितने खून के आंसू रोई. उतने 75 सालों में नही रोई. दूसरा पाकिस्तान कंगाली के कगार पर खड़ा है. मांगे किसी से खैरात नहीं मिल रही. अगले महीने उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन की मीटिंग है. शहबाज शरीफ की दिली ख्वाहिश है कि पीएम मोदी एक बार उनसे मुलाकात कर लें. शहबाज शरीफ के इसी सरेंडर पर पाकिस्तान में हंगामा बरपा है.
पटरी पर लौटा कश्मीर
ये मोदी नीति ही है जिससे कश्मीर की सूरत बदली. ये मोदी नीति ही है जिससे घाटी में आतंकवाद की कब्र खुदी. आज का कश्मीर पटरी पर लौट चुका है. जिसकी चर्चाएं सरहद पार भी है. मोदी की कश्मीर नीति कैसे हिट है. इसका लेटेस्ट सर्वे सरहद पार हुआ. जिसके नतीजे पाकिस्तान के हुक्मरानों के होश उड़ाने वाले हैं. पाकिस्तान की 22 करोड़ अवाम. भारत से बेहतर रिश्ते चाहती है. लेकिन सवाल अपने हुक्मरानों की नीयत पर है. वो हुक्मरान जो बात-बात में भारत को बदनाम करते हैं. बात-बात में मोदी पर अंगुली उठाते हैं. ऐसे में क्या मोदी शहबाज शरीफ को तरजीह देंगे. देंगे तो क्यों. इन सवालों पर भी पाकिस्तानियों का खून खौल रहा है.
पाकिस्तानी मीडिया का कहना है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने इस्लामाबाद में ऑस्ट्रेलिया के राजदूत से मुलाकात की और कहा कि वो इंडिया के साथ रिश्ते बेहतर चाहते हैं जिसके लिए वो इंडिया के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करना चाहते हैं. तो इसी पर बात करेंगे पाकिस्तान की अवाम से कि ऐसी क्या बात है कि शहबाज शरीफ नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए तड़प रहे हैं. क्या मोदी ने ख्वाहिश जाहिर की है कि आओ मैं तुम्हें गले लगाना चाहता हूं. क्या मोदी ने बोला है कि आओ मैं तुमसे मिलना चाहता हूं. चलो कारोबारी रिश्तों को बेहतर करते हैं चलो बैठो कारोबारी रिश्तों के साथ कश्मीर के रिश्तों को भी बेहतर करते हैं. इमरान ठीक कहता है कि ये इंपोर्टेड हुकूमत है और अहम तरीके से अहम मुलाकात बनाकर ये अपनी संपत्ति बनाकर यही जाहिर करना चाहते हैं कि हमारे पास जो 2-3 महीने हैं चलो इसमें अपना कारोबार बढ़ा लें और फिर जो पैसा यहां से निकालेंगे वो फिर इमरान के खिलाफ लगाएंगे और फिर अपनी निजामत बनाएंगे.
शरीफ को पाकिस्तान की जनता की कोई फिक्र नहीं
पाकिस्तानी जनता का कहना है कि भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में बेहतरी तो आनी चाहिए इसमें तो कोई गलत बात नहीं है. लेकिन शहबाज शरीफ को ये बात भी सोचनी चाहिए कि वो इंडिया के प्रधानमंत्री से मुलाकात का टाइम मांग रहे हैं लेकिन उसको पाकिस्तान की कोई फिक्र नहीं है. बारिशें इतनी हुई कि लोगों के घर तबाह हो चुके हैं लेकिन शहबाज शरीफ को इतना भी टाइम नहीं है कि वो हमदर्दी के लिए एक भी शब्द बोल सकें. हम भी पाकिस्तानी हैं. हम भी रियासत-ए-पाकिस्तान में रहते हैं लेकिन उसके लिए इंडिया के प्रधानमंत्री ज्यादा अहम हैं लेकिन अपनी रियाया अहम नहीं है. मैं शहबाज शरीफ को कहना चाहूंगा कि आपको अवाम ने चुना है इसलिए आपको कुछ लिहाज करना चाहिए.