बालोतरा जिला राजपूत समाज का अद्वितीय संगम
जसोल । बालोतरा
दीपावली के पावन अवसर के उपलक्ष में जसोल की ऐतिहासिक धरती रावलगढ़, जसोल पर आयोजित दीपावली स्नेह मिलन समारोह अत्यंत भव्यता, शालीनता और राजपूती परंपराओं की पूर्ण गरिमा के साथ सम्पन्न हुआ।
यह आयोजन बालोतरा जिला राजपूत समाज के लिए स्नेह, संवाद, सौहार्द और संगठन का अनुपम पर्व सिद्ध हुआ।
गणमान्य व्यक्तियों की गौरवमयी उपस्थिति
समारोह में बालोतरा जिले के प्रतिष्ठित वरिष्ठजन एवं युवा नेतृत्व ने सहभागिता कर कार्यक्रम को विशिष्टता प्रदान की।
उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में रावल किशन सिंह जसोल, चैन सिंह जसोल, मानवेंद्र सिंह जसोल, कर्नल शंभू सिंह देवड़ा कालंद्री, भूपेंद्र सिंह जसोल,
कुंवर हरिश्चंद्र सिंह जसोल, रावल विक्रम सिंह सिणधरी, पूर्व विधायक सिवाना कानसिंह कोटड़ी, चक्रवर्ती सिंह राखी सहित समाज के अनेक प्रबुद्धजन शामिल हुए।
बालोतरा जिले के गांवों से समाजबंधुओं की विशाल उपस्थिति
कार्यक्रम में बालोतरा जिले के विभिन्न क्षेत्रों —कोटड़ी, राखी, भूरसयानी राखी, जागसा, असाड़ा, जेठन्तरी, कितपाला, वेदरलाई, मेवानगर, नागाणा, तेलवाड़ा, सैला, रावली ढाणी, भीमरलाई, पादरड़ी कल्ला, कांकराला, सराणा, रेवाड़ा जैतमाल, थोब, अकदड़ा, कोलु, वरिया, घड़सी का बाड़ा, जिनपुर, टापरा, कालेवा, चिड़िया, गोल सोढ़ा, बायतु, बायतु पनजी, चांदेसरा, नेवाई, तिलवाड़ा, पाटौदी, सिनेर, मिठोड़ा, ग्वालनाड़ा, तरगरी, रोहिचा कला, दाखा, पादरू, नौसर, बालोतरा, झंवर, डंडाली, डाभड़ भाटियान, आवासन मंडल बालोतरा, अजीत, लाडनूं, मोखंडी, मेकरणा, बड़नावा जागीर, वरिया ढाणा, अराबा, जाजवा, मलवा, कोडुका, सिवाना, कंवरली, हमीरगढ़, डाभड़, साजियाली, मोकलसर, नेवरी, पऊ, देवरिया, चारलाई, कलातरो की ढाणी, कानोड़, पुनियों का तला, सवाऊ, बुडिवाड़ा से समाजबंधु बड़ी संख्या में पधारे।
इन गांवों की सशक्त उपस्थिति ने समारोह को भव्यता के उत्कर्ष पर पहुंचाया।
रावल किशन सिंह जसोल का उद्बोधन — मर्यादा, सेवा और योजनागत व्यवस्था का संदेश
रावल किशन सिंह जसोल ने अपने विस्तृत एवं विचारोत्तेजक उद्बोधन में कहा —“राजपूत समाज की प्रतिष्ठा उसकी मर्यादा, सेवा, परंपरा और उत्तरदायित्व में निहित है। समाज का इतिहास शौर्य, सत्य, न्याय और धर्मपालन की उज्ज्वल गाथाओं से परिपूर्ण है। इस धरोहर को यथावत रखना और नई पीढ़ी तक संकल्पपूर्वक पहुँचाना हमारा कर्तव्य है।”
उन्होंने जसोलधाम में विकसित व्यवस्थाओं का उल्लेख करते हुए कहा —“जसोलधाम में सम्पन्न हुए विकास कार्य किसी एक व्यक्ति की उपलब्धि नहीं हैं। यह मां जसोल की असीम कृपा, उनके भक्तों की श्रद्धा, और वर्षों से चली आ रही सेवा-परंपरा का प्रत्यक्ष परिणाम है। कार्य का आरंभ सरल होता है, परंतु उसे नियम, अनुशासन और जिम्मेदारी के साथ निरंतर बनाए रखना ही सच्ची सेवा है।”
उन्होंने आगे कहा —
“आज जसोलधाम में जो व्यवस्थाएं लागू हैं—दर्शन व्यवस्था, पारदर्शी प्रबंधन, स्वच्छता, सेवा-भाव, सुरक्षा व्यवस्था—ये सभी संस्थान सुरक्षा अध्यक्ष कर्नल शंभू सिंह देवड़ा कालंद्री एवं संस्थान समिति सदस्य कुंवर हरिश्चंद्र सिंह जसोल के मार्गदर्शन में योजनाबद्ध ढंग से लागू की गई हैं। यह मॉडल जिले के धार्मिक स्थलों के लिए प्रेरणादायी उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है।”
अंत में उनका आभारपूर्ण उद्गार
“ अपने उद्बोधन में अंत में उन्होंने कहा कि सभी समाजबंधुओं की उपस्थिति से जो ऊर्जा, स्नेह और एकता का भाव प्रकट हुआ है, यही हमारी शक्ति है। यह एकता आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी।”
मानवेंद्र सिंह जसोल का उद्गार — युवाओं को नशामुक्त जीवन का संकल्प
मानवेंद्र सिंह जसोल ने युवाओं के भविष्य को केंद्र में रखकर कहा —
“युवा शक्ति समाज की सबसे बड़ी पूंजी है। जब युवा लक्ष्य, शिक्षा और चरित्र के साथ आगे बढ़े तो समाज का भविष्य स्वतः उज्ज्वल हो जाता है। नशा मनुष्य की ऊर्जा, इच्छाशक्ति और व्यक्तित्व को कमजोर करता है। ऐसी आदतें व्यक्ति के जीवन को ही नहीं, पूरे समाज की छवि को प्रभावित करती हैं।”
उन्होंने यह भी कहा —
“युवाओं को चाहिए कि वे शिक्षा, तकनीक, रोजगार, खेल, सैन्य सेवाओं और समाजसेवा जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करें। स्वस्थ जीवनशैली, सकारात्मक सोच और नशे से परहेज—ये तीन तत्व युवा शक्ति को ऊँचाई देते हैं।”
उन्होंने युवाओं को दृढ़ संदेश दिया —
“उन्होंने कहा कि युवा जिला, समाज और अपनी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य के निर्माता हैं। आपका समय, आपकी मेहनत और आपकी निष्ठा समाज की वास्तविक प्रगति का आधार है।”
कर्नल शंभू सिंह देवड़ा का मार्गदर्शन — शिक्षा, राष्ट्रभावना और अनुशासन का विस्तारित संदेश
कर्नल शंभू सिंह देवड़ा ने अपने अनुभवपूर्ण उद्बोधन में कहा —
“शिक्षा समाज का दीपक है। यह केवल ज्ञान नहीं देती, अपितु चरित्र निर्माण, कर्तव्यपरायणता और निर्णय क्षमता को भी विकसित करती है। आज के परिवेश में हर परिवार को चाहिए कि वह अपने बच्चों को उच्च शिक्षा, सैन्य सेवाएं, प्रशासनिक सेवाएं और आधुनिक तकनीक में आगे बढ़ने हेतु प्रेरित करे।”
उन्होंने कहा —
“युवा जब अनुशासन को जीवन का आधार बना लेता है, तब राष्ट्र, परिवार और समाज—तीनों की अपेक्षाओं को पूर्ण करने में सक्षम होता है। अनुशासन ही मानव को नेतृत्वकर्ता बनाता है।”
उन्होंने मार्गदर्शन दिया —
“युवा पीढ़ी में देशभक्ति का बीज बचपन से ही बोना चाहिए। समाज का गौरव तभी सुरक्षित रहेगा जब युवा राष्ट्रसेवा की भावना से ओतप्रोत होकर आगे बढ़ेंगे।”
चक्रवर्ती सिंह राखी का संबोधन — नेतृत्व और आदर्शों की प्रेरक प्रशंसा
चक्रवर्ती सिंह राखी ने रावल साहब के नेतृत्व, ज्ञान, व्यवहार और कशिंदे-कशे की प्रशंसा में कहा —
“रावल साहब आदरणीय एवं समाज के लिए मार्गदर्शक शक्ति हैं। उनका सरल, विनम्र और संतुलित नेतृत्व समाज में नई ऊर्जा का संचार करता है। उनके विचारों में अनुभव है, कर्तृत्व में सत्यता है और समाजहित में संपूर्ण निष्ठा है।”
उन्होंने आगे कहा —
“राजपूती समाज की वास्तविक शक्ति उसके आदर्श, सेवा-भाव और नेतृत्व में निहित है। रावल साहब के निर्देशन में जसोलधाम जिस अनुशासन, मर्यादा और सुगठित व्यवस्था के साथ संचालित है, वह पूरे जिले एवं प्रदेश के संस्थानों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।”
समापन — सामाजिक एकता और शौर्य परंपरा की पुनःप्रतिष्ठा
दीपावली स्नेह मिलन समारोह राजपूत समाज की एकता का दर्पण, बालोतरा जिले की सामाजिक शक्ति का प्रतीक, युवाओं के लिए प्रेरणा, समाजहित के संकल्पों का मंच, मर्यादा और सेवा की परंपरा की पुनःस्थापना के रूप में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।