राजस्थान विधानसभा सत्र आज उस समय गरमा गया जब शिव विधायक रविन्द्रसिंह भाटी ने सदन के भीतर सरकार की नीतियों और लापरवाहियों पर सीधा और तीखा हमला बोला। उन्होंने न केवल चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा को लेकर सरकार को घेरा, बल्कि मत्स्य क्षेत्र विधेयक में गरीब मछुआरों पर पड़ने वाले बोझ को उजागर करते हुए सरकार को कठघरे में खड़ा किया। विपक्ष की ओर से लगातार हो रहे शोर-शराबे के बीच भाटी ने आक्रामक अंदाज में यह भी स्पष्ट कर दिया कि प्रदेश की जनता अब सब देख रही है कि कैसे सत्ता और विपक्ष दोनों ने मिलकर राजस्थान की हालत खराब कर दी है।
“राजस्थान आयुर्विज्ञान संस्थान, जयपुर विधेयक” पर हुई चर्चा में बोलते हुए भाटी ने प्रदेश में चिकित्सा सेवाओं की बदहाली पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में वर्ष 2018 से लंबित प्रयोगशाला सहायक भर्ती प्रक्रिया का पूरा न होना युवाओं के साथ धोखा और जनता के साथ अन्याय है। उन्होंने सरकार से मांग की कि इस भर्ती प्रक्रिया को तत्काल पूरा कर हजारों बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जाए। इसके साथ ही उन्होंने मेडिकल हेल्थ वॉलंटियर फोर्स को वित्तीय स्वीकृति देने पर जोर दिया और इसे ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं के सुचारू संचालन के लिए अनिवार्य बताया।
भाटी यहीं नहीं रुके। उन्होंने लगभग 7000 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (CHO) की दशा पर बात करते हुए कहा कि इन कर्मचारियों के लिए अलग कैडर का गठन, ट्रांसफर पॉलिसी लागू करना और निश्चित मानदेय निर्धारित करना समय की मांग है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार इन मांगों पर ठोस कदम नहीं उठाती तो स्वास्थ्य ढांचे का भविष्य पूरी तरह से चरमरा जाएगा। इसी कड़ी में उन्होंने राजस्थान चिकित्सा सेवा एवं अधीनस्थ नियम 2023 के अंतर्गत ब्लड बैंक तकनीशियन, OT टेक्निशियन, कैथ लैब, डायलिसिस व EEG तकनीशियन जैसे पदों के लिए सेवा नियम बनाकर शीघ्र भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करने की कड़ी मांग रखी।
नर्सिंग कार्मिकों के संदर्भ में भाटी ने सरकार की अनदेखी पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि नर्सिंग निदेशालय की स्थापना अब और विलंबित नहीं की जा सकती। उन्होंने यह भी कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बेहद दयनीय है, जहाँ PHC और CHC की भारी कमी के कारण जिला अस्पतालों पर असहनीय दबाव बढ़ रहा है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सरकार को तत्काल प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित करने होंगे और चिकित्सकों व पैरा-मेडिकल स्टाफ की नियुक्ति कर इन्हें सुचारू रूप से संचालित करना होगा, अन्यथा प्रदेश की जनता को और गहरी त्रासदी झेलनी पड़ेगी।
इसके बाद राजस्थान मत्स्य क्षेत्र विधेयक पर चर्चा करते हुए भाटी ने सरकार की मंशा पर ही सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में पहली बार मत्स्य अपराधों पर 25,000 से 50,000 रुपये तक का कठोर जुर्माना लगाने का प्रस्ताव न केवल अमानवीय है बल्कि गरीब मछुआरों की कमर तोड़ देने वाला कदम है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यह प्रावधान छोटे मछुआरों को तबाह कर देगा और बड़े ठेकेदारों व निजी कंपनियों के लिए रास्ता खोल देगा। उन्होंने कहा कि राज्य में मत्स्य अपराधों के नाम पर गरीब मछुआरों को लाइसेंस, अनुमति और नियमों की दलदल में फंसाकर उनका आर्थिक शोषण किया जाएगा।
भाटी ने सदन में आंकड़े रखते हुए बताया कि वर्तमान में राज्य में 92 हजार टन मछली का उत्पादन हो रहा है, जिससे लगभग ₹68 करोड़ का राजस्व प्राप्त हो रहा है। इसके बावजूद मछुआरा समुदाय लगातार संकट में है और सरकार उनकी मूल समस्याओं की तरफ आंख मूंदे बैठी है। उन्होंने सवाल उठाया कि 2024-25 के लिए मत्स्य क्षेत्र हेतु ₹698.46 लाख का बजट प्रावधान होने के बावजूद दिसंबर 2024 तक केवल ₹54.74 लाख ही खर्च किया गया है, बाकी बजट आखिर गया कहां? यह सीधा-सीधा घोटाले और भ्रष्टाचार का प्रमाण है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में 4.30 लाख हेक्टेयर जलाशय उपलब्ध होने के बावजूद मत्स्यपालकों को न तो तकनीकी सहयोग मिल रहा है और न ही संरक्षण।
भाटी ने यह भी खुलासा किया कि मत्स्य पालन विभाग में 60 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं और लगभग 20,000 मछुआरों में से सिर्फ 25 प्रतिशत को ही दुर्घटना बीमा कवरेज मिल पाया है। उन्होंने इसे सीधी सरकारी लापरवाही बताते हुए कहा कि मछुआरों की जान और आजीविका दोनों ही संकट में हैं। उन्होंने कटाक्ष किया कि सरकार की घोषणाओं में मछली उत्पादन बढ़ाने की बातें तो खूब की जाती हैं, लेकिन हकीकत यह है कि राजस्थान में न तो मत्स्य पालन के लिए उत्कृष्टता केंद्र है, न ही मछुआरों को कोई ठोस सुरक्षा योजना उपलब्ध कराई गई है।
भाटी ने जोर देकर कहा कि राजस्थान के मत्स्य क्षेत्र में व्यापक सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने मांग की कि मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ-साथ मार्केटिंग की व्यवस्था सुदृढ़ की जाए, प्रोत्साहन योजनाओं का विस्तार हो और स्थानीय युवाओं को रोजगार व कौशल विकास का अवसर मिले। उन्होंने सरकार के विजन डाक्यूमेंट की पोल खोलते हुए कहा कि उसमें मत्स्य पालन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र के लिए कोई ठोस कार्ययोजना शामिल ही नहीं की गई थी।
सत्र के दौरान विपक्ष की ओर से लगातार शोरगुल के बीच भाटी ने तल्ख और आक्रामक लहजे में कहा कि जब भी कोई निर्दलीय विधायक बोलने खड़ा होता है तो पक्ष और विपक्ष दोनों को उसे सुनना चाहिए। उन्होंने करारा तंज कसते हुए कहा कि आज पूरा प्रदेश देख रहा है कि सत्ता और विपक्ष ने मिलकर राजस्थान को किस हाल में पहुंचा दिया है।
“राजस्थान आयुर्विज्ञान संस्थान, जयपुर विधेयक” पर हुई चर्चा में बोलते हुए भाटी ने प्रदेश में चिकित्सा सेवाओं की बदहाली पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में वर्ष 2018 से लंबित प्रयोगशाला सहायक भर्ती प्रक्रिया का पूरा न होना युवाओं के साथ धोखा और जनता के साथ अन्याय है। उन्होंने सरकार से मांग की कि इस भर्ती प्रक्रिया को तत्काल पूरा कर हजारों बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जाए। इसके साथ ही उन्होंने मेडिकल हेल्थ वॉलंटियर फोर्स को वित्तीय स्वीकृति देने पर जोर दिया और इसे ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं के सुचारू संचालन के लिए अनिवार्य बताया।
भाटी यहीं नहीं रुके। उन्होंने लगभग 7000 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (CHO) की दशा पर बात करते हुए कहा कि इन कर्मचारियों के लिए अलग कैडर का गठन, ट्रांसफर पॉलिसी लागू करना और निश्चित मानदेय निर्धारित करना समय की मांग है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार इन मांगों पर ठोस कदम नहीं उठाती तो स्वास्थ्य ढांचे का भविष्य पूरी तरह से चरमरा जाएगा। इसी कड़ी में उन्होंने राजस्थान चिकित्सा सेवा एवं अधीनस्थ नियम 2023 के अंतर्गत ब्लड बैंक तकनीशियन, OT टेक्निशियन, कैथ लैब, डायलिसिस व EEG तकनीशियन जैसे पदों के लिए सेवा नियम बनाकर शीघ्र भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ करने की कड़ी मांग रखी।
नर्सिंग कार्मिकों के संदर्भ में भाटी ने सरकार की अनदेखी पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि नर्सिंग निदेशालय की स्थापना अब और विलंबित नहीं की जा सकती। उन्होंने यह भी कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बेहद दयनीय है, जहाँ PHC और CHC की भारी कमी के कारण जिला अस्पतालों पर असहनीय दबाव बढ़ रहा है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि सरकार को तत्काल प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित करने होंगे और चिकित्सकों व पैरा-मेडिकल स्टाफ की नियुक्ति कर इन्हें सुचारू रूप से संचालित करना होगा, अन्यथा प्रदेश की जनता को और गहरी त्रासदी झेलनी पड़ेगी।
इसके बाद राजस्थान मत्स्य क्षेत्र विधेयक पर चर्चा करते हुए भाटी ने सरकार की मंशा पर ही सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में पहली बार मत्स्य अपराधों पर 25,000 से 50,000 रुपये तक का कठोर जुर्माना लगाने का प्रस्ताव न केवल अमानवीय है बल्कि गरीब मछुआरों की कमर तोड़ देने वाला कदम है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यह प्रावधान छोटे मछुआरों को तबाह कर देगा और बड़े ठेकेदारों व निजी कंपनियों के लिए रास्ता खोल देगा। उन्होंने कहा कि राज्य में मत्स्य अपराधों के नाम पर गरीब मछुआरों को लाइसेंस, अनुमति और नियमों की दलदल में फंसाकर उनका आर्थिक शोषण किया जाएगा।
भाटी ने सदन में आंकड़े रखते हुए बताया कि वर्तमान में राज्य में 92 हजार टन मछली का उत्पादन हो रहा है, जिससे लगभग ₹68 करोड़ का राजस्व प्राप्त हो रहा है। इसके बावजूद मछुआरा समुदाय लगातार संकट में है और सरकार उनकी मूल समस्याओं की तरफ आंख मूंदे बैठी है। उन्होंने सवाल उठाया कि 2024-25 के लिए मत्स्य क्षेत्र हेतु ₹698.46 लाख का बजट प्रावधान होने के बावजूद दिसंबर 2024 तक केवल ₹54.74 लाख ही खर्च किया गया है, बाकी बजट आखिर गया कहां? यह सीधा-सीधा घोटाले और भ्रष्टाचार का प्रमाण है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में 4.30 लाख हेक्टेयर जलाशय उपलब्ध होने के बावजूद मत्स्यपालकों को न तो तकनीकी सहयोग मिल रहा है और न ही संरक्षण।
भाटी ने यह भी खुलासा किया कि मत्स्य पालन विभाग में 60 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं और लगभग 20,000 मछुआरों में से सिर्फ 25 प्रतिशत को ही दुर्घटना बीमा कवरेज मिल पाया है। उन्होंने इसे सीधी सरकारी लापरवाही बताते हुए कहा कि मछुआरों की जान और आजीविका दोनों ही संकट में हैं। उन्होंने कटाक्ष किया कि सरकार की घोषणाओं में मछली उत्पादन बढ़ाने की बातें तो खूब की जाती हैं, लेकिन हकीकत यह है कि राजस्थान में न तो मत्स्य पालन के लिए उत्कृष्टता केंद्र है, न ही मछुआरों को कोई ठोस सुरक्षा योजना उपलब्ध कराई गई है।
भाटी ने जोर देकर कहा कि राजस्थान के मत्स्य क्षेत्र में व्यापक सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने मांग की कि मत्स्य उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ-साथ मार्केटिंग की व्यवस्था सुदृढ़ की जाए, प्रोत्साहन योजनाओं का विस्तार हो और स्थानीय युवाओं को रोजगार व कौशल विकास का अवसर मिले। उन्होंने सरकार के विजन डाक्यूमेंट की पोल खोलते हुए कहा कि उसमें मत्स्य पालन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र के लिए कोई ठोस कार्ययोजना शामिल ही नहीं की गई थी।
सत्र के दौरान विपक्ष की ओर से लगातार शोरगुल के बीच भाटी ने तल्ख और आक्रामक लहजे में कहा कि जब भी कोई निर्दलीय विधायक बोलने खड़ा होता है तो पक्ष और विपक्ष दोनों को उसे सुनना चाहिए। उन्होंने करारा तंज कसते हुए कहा कि आज पूरा प्रदेश देख रहा है कि सत्ता और विपक्ष ने मिलकर राजस्थान को किस हाल में पहुंचा दिया है।