राजनाथ बेटे का आंपरेशन कराने जौनपुर आ रहें थे, रास्ते में मिली मौत। 

जनपद जौनपुर बक्शा थाना क्षेत्र के चकपटैला गांव स्थित अंडरपास पर, शुक्रवार की सुबह हुए बस हादसे में, पांच जिंदगियां काल के गाल में समा गई तो करीब 14 लोग घायल हो गए। बदलापुर के कटहरी निवासी मृतक राजगीर राजनाथ गौतम जहां बेटे का आपरेशन कराने जौनपुर आ रहे थे, क्या पता था कि अस्पताल पहुंचने से पहले मौत उनका इंतजार कर रही है। वहीं सिरकोनी के गोपी निवासी नेमा देवी अपने बहन के घर से मायके आ रही थी।राजनाथ गौतम के तीन पुत्र व दो पुत्रियां हैं। बड़ी पुत्री चंद्रा(24), छोटी पुत्री अंतिमा (10) है तो पुत्र हरिश्चंद्र(20), फूल कुमार(18), अमृतलाल(16) है। घटना के चार घंटे के बाद राजनाथ की पत्नी और बच्चे जिला चिकित्सालय पहुंचे। पोस्टमार्टम हाउस में शव की पहचान करवाई गई, इसके बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। पुत्र हरिश्चंद्र व पत्नी सभावती का रो-रोकर बुरा हाल है। 28 मई को सड़क हादसे में पुत्र अमृतलाल का पैर टूट गया था। बेटे का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है। आज ऑपरेशन होना था। इसी वजह से वे बस से जौनपुर जिला अस्पताल आ रहे थे लेकिन रास्ते में ही वे काल के गाल में समा गए। राजनाथ अपनी पत्नी व चार पुत्राें के साथ गांव के ईंट भट्ठे पर काम करते थे। गरीबी के कारण बच्चों की पढ़ाई नहीं करा सका। सबसे बड़ी पुत्री चंद्रा का विवाह कराया था। सिरकोनी : बस दुर्घटना में मृतक नेमा देवी (55) पत्नी परदेशी गौड़ सिरकोनी ब्लॉक के गोपीपुर गांव की रहने वाली थीं। उनका परिवार 20 साल से टाटा जमशेदपुर में रहता था। शादी या समारोह में ही गांव आना होता था। नेमा देवी कुछ दिन पूर्व अपने पति व पौत्र के साथ अपने मायके केराकत आई थी। वे वहां से अपने किसी रिश्तेदार की शादी में शामिल होने शाहगंज गई थी। वहां से लौटकर बदलापुर के रामनगर स्थित अपने बहन के घर गई। उनसे मिलकर वह वापस अपने मायके केराकत जा रही थी। रास्ते में बस दुर्घटना में मौत हो गई। उनके दो पुत्र, बहुएं ,पौत्र तथा दो पुत्रियां है। घटना में नेमा देवी की मौत की खबर सुनकर गांव के लोग भी घटना स्थल पहुंच गए।

कालीचरन की मौत से अनाथ हुआ परिवार बक्शा। बदलापुर थाना क्षेत्र के चवरी लेदुका निवासी बस कंडक्टर कालीचरन यादव(36) की मौत की सूचना मिलते ही परिवार के सदस्यों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। दुर्घटना ग्रस्त बस पर वर्षों से कंडक्टर का कार्य कर परिवार का जीविकोपार्जन करने वाले कालीचरन की मृत्यु से वृद्ध पिता विंध्याचल की बुढ़ापे की लाठी टूट गईं वहीं पत्नी कंचनका सुहाग उजड़ गया। दो पुत्र यश व अंशु तथा पुत्री शिक्षा का जीवन कैसे यह कटेगा, यह सोच ग्रामीणों की आंखें नम हो गईं। तीन वर्ष पहले कालीचरन की मां की मौत हो चुकी है।