यह कि रेंज जेतपुर नाका स्थित, वन विभाग चौकी, गुद्धासदावर्तिया जिला बून्दी के क्षेत्र में किसानों (प्रार्थीगण) के खाते व कब्जे काश्त की राजस्व भूमि स्थित है. वन विभाग द्वारा पिछले वर्ष वन विभाग की भूमि की सीमा निर्धारित करने के लिए मुटाम (सीमेंट के पिलर) गाढ़े गये थे. उस समय गर्मी का समय होने से काश्तकार लोग अपनी कब्जे काश्त की भूमि पर मौके पर मौजूद थे। कि वन विभाग द्वारा अपनी भूमि की सीमाबंदी हेतु प्राईवेट ठेकेदार, लेबर से वन विभाग व राजस्व भूमि के बीच मुटाम मुटाम (पिलर) लगवाये थे। प्राईवेट ठेकेदार लेबर द्वारा जहां 2 मुटाम (पिलर) गाढने / लगाने हेतु ट्रेक्टर-ट्रोली सीमेंट, बजरी आदि मटेरियल लेकर आसानी से पहुंचे, उसी स्थान पर बिना किसानों को कोई सूचना व उनकी बिना मौजूदगी में अपनी मनमर्जी से मुटाम (पिलर) बना दिये गये। इसकी जानकारी मिलते ही प्रार्थीगण ने दुबारा सीमाज्ञान हेतु वन विभाग चौकी गुढासदावर्तिया पर शिकायत की तो वहां मौजूद कर्मचारियों ने कहा अब कुछ भी नहीं हो सकता. हमने जहां मुटाम गाड़ दिये. वहां ही रहेंगे। हमको किसी से पूछने की जरूरत नहीं है, तदोपरान्त प्रार्थीगण ने श्रीमान जिला कलेक्टर महोदय, बून्दी 4 श्रीमान के समक्ष प्रार्थना पत्र देकर उक्त भूमि का राजस्व कर्मचारियों, किसानों व वन विभाग के उच्चाधिकारियों की मौजूदगी में पुनः सीमाज्ञान कराने का निवेदन किया था। इस पर प्रार्थीगण को आश्वासन दिया था कि किसी भी किसान के कब्जेकाश्त की भूमि नहीं ली जायेगी, पुनः सीमाज्ञान करवा लेंगे और किसानों को कब्जे काश्त की भूमि से बेदखल नहीं करेंगे।करीब 25 काश्तकार अपने खाते, स्वामित्व एवं कब्जे काश्त की भूमि पर ही काबिज है. जिनकी भूमि पर भी वन विभाग ने मुटाम/पिलर गाड दिये है तथा करीब 6-7 काश्तकार ऐसे हैं जिनके कब्जे काश्त की भूमि के लगवां वन विभाग की भूमि आने से कुछ हिस्से पर काबिज काश्त हैं। प्रार्थीगण पशुधन पर ही निर्भर थे रामगढ़ अभ्यारण्य स्थापित होने से हमारे को पशुधन लेकर अन्दर नहीं ले जाने से हम लोगों ने हमारा पशुधन को बेचना पड़ा। हम लोग बेसहारा हो गये, उक्त राजस् जमीन के पास कुछ वन विभाग की भूमि पर भी हम काश्तकारी कर रहे है, जिसन अपने परिवार व बच्चों का लालन पालन कर रहे हैं। हम लोगों को वन विभाग क भूमि पर कोई अतिक्रमण का उद्देश्य नहीं है, जब भी आप आदेश करेंगे, आप आदेश की हम पालना करेंगे।