चक्षु शर्मा को मिला प्रबंधन पाठ्यक्रम का स्वर्ण पदक
सफलता के लिए लक्ष्य निर्धारित करें तथा एकाग्रता और कठोर परिश्रम से उसे प्राप्त करें : चक्षु
बूंदी। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की आदर्श बनी चक्षु शर्मा ने ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आईआरएम जयपुर के दीक्षांत समारोह में 2022-24 बैच के विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक एवं उपाधियां प्रदान की गई। आयोजित भव्य समारोह में तालियों की गड़गड़ाहट के बीच बूंदी की चक्षु शर्मा को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में राजस्थान यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर डॉ. अल्पना कटेजा तथा गेस्ट ऑफ ऑनर एच.डी.एफ.सी बैंक के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रियंक विजयवर्गीय ने स्वर्ण पदक, अवार्ड एवं उपाधि प्रदान कर चक्षु को बधाई दी।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान से जुड़े मोटिवेटर डॉ सर्वेश तिवारी ने बताया कि पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट (पीजीडीएम) पाठ्यक्रम में संस्थान में सर्वोच्च अंक प्राप्त कर स्वर्ण पदक अपने नाम करने वाली चक्षु कि यह यात्रा इतनी आसान नहीं थी, कक्षा 3 में अध्ययनरत रहते हुए ही मां का साया उठ गया। आदर्श विद्या मंदिर एवं महारानी राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय से अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद चक्षु ने स्नातक एवं स्नातकोत्तर परीक्षा प्रथम श्रेणी में राजकीय महाविद्यालय से पूर्ण की तथा नई चुनौती के रूप में अंग्रेजी माध्यम लेकर आदेश नाटक का यह डिप्लोमा सर्वोच्च अंको से प्राप्त किया।
उल्लेखनीय है कि इस उपाधि प्राप्ति के बाद से चक्षु शर्मा आईडीबीआई बैंक बूंदी में कनिष्ठ सहायक प्रबंधक के पद पर कार्यरत है। सेवानिवृत्त लेखाधिकारी शिव कुमार शर्मा की दो पुत्रियों में छोटी पुत्री चक्षु बचपन से ही मेधावी रही है। बड़ी बहन शिप्रा शर्मा मुंबई में जर्मनी की कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। परिवार के प्रति दायित्व निर्वहन करते हुए शिक्षा प्राप्त कर आत्मनिर्भर बनने वाली चक्षु बालिकाओं को संदेश देते हुए कहा कि बालिकाएं अपना लक्ष्य स्वयं निर्धारित करें एवं कठोर परिश्रम से एकाग्रता के साथ उसे प्राप्त करने को कृत संकल्पित हो। जब हम कोई सफलता प्राप्त कर लेते हैं तो ही हमारी पहचान दुनियां में बनती है अतः सफलता प्राप्ति से पूर्व रुके नहीं और लक्ष्य से भटके भी नहीं। चक्षु अपनी यात्रा का वर्णन करते हुए बताती हैं कि संघर्ष और कठिनाई से कभी हमें घबराना नहीं चाहिए, हमें हौसला नहीं हारना चाहिए, कल तक मैं भी आत्मनिर्भर नहीं थी मेरी भी कोई पहचान नहीं थी लेकिन आज मैं स्वयं सक्षम हूं अतः मैं जीवन में प्रयास करूंगी कि अन्य बालिकाओं को भी मोटिवेट कर लक्ष्य प्राप्ति में सहयोग कर सकूं।