राज्य सरकार ने कोटा के लाडपुरा तहसील के राजस्व गांव 'रसूलपुर' का नाम बदलकर 'रामपुर' करने का प्रस्ताव लिया है। नो ऑब्जेक्शन/सहमति के लिए इस प्रस्ताव को केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा है। बता दें सरकार ने ग्राम पंचायत खेड़ा रसूलपुर के मुखिया सरपंच, ग्रामवासी मोतबीरान, उपखंड अधिकारी, तहसीलदार लाडपुरा की सहमति व राजस्व मंडल अजमेर व जिला कलेक्टर कोटा की अनुशंसा के बाद गांव का नाम बदलने का प्रस्ताव 12 दिसंबर को केंद्र को भेजा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजे गए प्रस्ताव में तथ्यात्मक टिप्पणी भी लिखी गई है। जिसमें लिखा- राजस्व ग्राम रसूलपुर का नाम प्राचीन समय से ही रामपुर के नाम से जाना जाता था सभी ग्रामीणों ने रसूलपुर को रामपुर के नाम से पुकारा जाता है। रसूलपुर के नाम से ग्रामवासी अभ्यस्त नहीं है। इस प्रकार उक्त राजस्व का नाम रसूलपुर के स्थान पर रामपुर की जाना वांछनीय है।

- राजस्व ग्राम रसूलपुर का नाम का कोई भी ऐतिहासिक महत्व नहीं है। इसलिए गांव का नाम परिवर्तन किया जाना अति आवश्यक है।

- ग्राम रसूलपुर के स्थान पर प्रस्तावित रामपुर किसी राष्ट्रीय नेता के नाम या उनके सम्मान सूचक नहीं है। उक्त प्रस्ताव स्थानीय भावनाओं को संतुष्ट करने के लिए नहीं लाया गया है।

- तहसील लाडपुरा में रामपुर नाम का अन्य कोई गांव ही नहीं है।

- ग्राम पंचायत खेड़ा रसूलपुर के राजस्व ग्राम रसूलपुर का प्राचीन नाम रामपुर ही था। जिसे विदेशी आक्रांताओं के प्रभाव में रसूलपुर कर दिया गया जो आज तक चला आ रहा है।

- गांव रसूलपुर में हिंदू आबादी लगभग 2750 को मुस्लिम आबादी 50 है।

-ग्रामवासियों के मुताबिक चंद्रलोई नदी के तट पर जगह-जगह नागा साधुओं का निवास था। नदी के किनारे ही नागा साधुओं का अखाड़ा था। जिसमें नागा साधुओं का निवास व हाथी बांधे जाते थे। अखाड़े के पास ही वर्तमान में महावीर व्यायामशाला संचालित है। जिस पर गांव का नाम रामपुर लिखा हुआ है। उक्त तथ्यों से यह प्रतीत होता है कि उक्त ग्राम अत्यंत प्राचीन एवं साधु संतों का ग्राम रहा है।

- ग्रामवासियों द्वारा रसूलपुर का नाम रामपुर किए जाने की काफी समय से मांग की जा रही है।

स्थानीय निवासी व बजरंगदल प्रांत संयोजक योगेश रेनवाल ने बताया की इस गांव की प्राचीन सम्भता है। यहां नागा साधुओं का अखाड़ा व रामस्नेही सम्प्रदाय का रामद्वारा है। यहां आज भी समाधियां बनी हुई है। करीब 1300 साल पुराना चन्द्रेसल मठ व कई प्रतीक चिन्ह हिंदू संस्कृति से जुड़े मिलते है।इससे साफ जाहिर होता है कि पूर्व में इस गांव का नाम खेडारामपुर था। गांव में सामाजिक धार्मिक व पत्र व्यवहार में गांव का नाम खेडारामपुर ही लिखा जाता है। लंबे समय से स्थानीय लोग गांव का नाम बदलने की मांग कर रहे थे। गांव वालों की मांग पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला व स्थानीय विधायक कल्पना देवी के प्रयासों से राज्य सरकार ने गांव का नाम रसूलपुर से बदलकर रामपुर करने का प्रस्ताव लिया है और केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा है। गांव के लोगों ने बुधवार को लोकसभा स्पीकर को ज्ञापन दिया है और 11 जनवरी से पहले आदेश जारी करवाने की मांग की है।