शहर के माहेश्वरी भवन में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन गुरुवार को परम पूज्य श्रीकांत शर्मा जी महाराज ने धु्रव चरित्र व भक्त प्रहलाद चरित्र कथा का वर्णन करते हुए कहा कि वर्तमान में माता-पिता बच्चों के साथ जो अपराध करते है वह अपराध नारायण का अपराध करने वाला होता है।
इसलिए घरों में कितना ही झगड़ा हो, लेकिन बच्चों के साथ अपराध नहीं करना चाहिए। भगवान हर आदमी के लिए अपनी गोद खाली रखता है, इसलिए आदमी को भजन करना चाहिए। भक्ति के बिना शक्ति नहीं मिलती है। इसके चलते लोगों को भगवान की भक्ति आवश्यक रूप से करनी चाहिए। धु्रव की कथा के माध्यम से श्रोताओं को भक्ति और दृढ़ संकल्प को विस्तार से समझाया। धु्रव को अपनी सौतेली माता के इस व्यवहार पर बहुत क्रोध आया पर वह कर ही क्या सकता था। इसलिए वह अपनी मां सुनीति के पास जाकर रोने लगा। सारी बातें जानने के बाद सुनीति ने कहा संपूर्ण दु:खों को देने वाले भगवान नारायण के अतिक्ति तुम्हारे दु:ख को दूर करने वाला कोई नहीं है। तू केवल उनकी भक्ति कर। श्रीकांत शर्मा जी महाराज ने भागवत कथा में तीसरे दिन धु्रव चरित्र का वर्णन करते हुए भक्ति व दृढ़ संकल्प का महत्व बताया। इस मौके पर आयोजक सीए पुरुषोत्तम-प्रभा खंडेलवाल ने भागवत कथा की पूजा अर्चना की।