सुप्रीम कोर्ट ने पारिवारिक विवाद के मामले में आदेश दिया कि पति अपनी पत्नी और बच्चों को 5 करोड़ रुपए का गुजारा-भत्ता दे। कोर्ट ने आदेश दिया कि पति फाइनल सेटलमेंट के तौर पर यह रकम पत्नी को दे।

कोर्ट ने आदेश के दौरान यह साफ कर दिया कि गुजारा-भत्ता देने का मकसद यह नहीं है कि पति को सजा दी जाए। हम यह चाहते हैं कि पत्नी और बच्चे सम्मानित तरीके से जीवन गुजार सकें।

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बी की बेंच ने कहा कि सेटलमेंट में से एक करोड़ की रकम उनके बेटे के गुजारे-भत्ते और उसकी आर्थिक सुरक्षा के लिए तय की जाए।

SC ने 8 पॉइंट पर विचार कर सुनाया फैसला

1.     पति-पत्नी की सामाजिक और आर्थिक हैसियत

2.     पत्नी-बच्चों की उचित जरूरतें

3.     दोनों पक्षों की क्वालिफिकेशन और इम्पलॉयमेंट

4.     इनकम और प्रॉपर्टी

5.     पत्नी का ससुराल में रहते हुए स्टैंडर्ड ऑफ लाइफ

6.     अगर परिवार की देखभाल के लिए नौकरी छोड़ी है

7.     नौकरी ना करने वाली पत्नी के लिए कानूनी लड़ाई की उचित रकम

8.     पति की आर्थिक हैसियत, उसकी कमाई और गुजारे-भत्ते की जिम्मेदारियां

2 दशक तक अलग रहे, कोर्ट बोला- शादी निभाना अब संभव नहीं इस केस में पति-पत्नी शादी के 6 साल बाद करीब 2 दशक तक अलग रहे। पति ने पत्नी पर आरोप लगाया था कि वे परिवार के साथ सही व्यवहार नहीं करती हैं। पत्नी का आरोप था कि पति का व्यवहार उनके लिए ठीक नहीं है। ऐसे में अदालत ने कहा कि दोनों पक्षों का शादी का नैतिक दायित्व निभाना संभव नहीं है। दोबारा शादी का संबंध निभा नहीं सकते और यह शादी टूट चुकी है।