सुप्रीम कोर्ट में 12 दिसंबर को पूजास्थल कानून (प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट- 1991) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई होगी। पहले 5 दिसंबर को ही यह सुनवाई होनी थी।उस दिन CJI संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस मनमोहन की बेंच को सुनवाई करनी थी लेकिन बेंच सुनवाई से पहले ही उठ गई थी। अब 12 दिसंबर को CJI संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की स्पेशल बेंच दोपहर 3.30 बजे सुनवाई करेगी।यह एक्ट कहता है कि पूजास्थलों और तीर्थस्थलों का स्वरूप वैसा ही रखा जाएगा, जैसा 15 अगस्त, 1947 को था। भविष्य में भी उन पर विवाद के संबंध में अदालत में कोई मुकदमा या कार्यवाही नहीं होगी। इसके अलावा इस एक्ट ने लागू होते वक्त यानी साल 1991 में कोर्ट में चल रहे ऐसे सभी मुकदमों को खत्म कर दिया था। अयोध्या के बाबरी मस्जिद विवाद को इससे छूट दी गई थी।याचिका दायर करने वालों में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी, कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर, भाजपा नेता और एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय, धार्मिक गुरू स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती, काशी की राजकुमारी महाराजा कुमारी कृष्ण प्रिया समेत कई अन्य शामिल हैं।वहीं, जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इन याचिकाओं के खिलाफ याचिका दायर की है। जमीयत का तर्क है कि एक्ट के खिलाफ याचिकाओं पर विचार करने से पूरे देश में मस्जिदों के खिलाफ मुकदमों की बाढ़ आ जाएगी।मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और ज्ञानवापी मस्जिद का रखरखाव करने वाली अंजुमन इंतजामिया मस्जिद मैनजमेंट कमेटी ने भी इन याचिकाओं को खारिज करने की मांग की है।