सरकार ने 2000 से सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत राजमार्ग प्लाजा पर 1.44 लाख करोड़ रुपये टोल एकत्र किया है। नई दिल्ली 28 नवंबर (पीटीआई) सरकार ने दिसंबर 2000 से राष्ट्रीय राजमार्गों पर सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत संचालित शुल्क प्लाजा पर टोल टैक्स के रूप में 1.44 लाख करोड़ रुपये एकत्र किए हैं। इसके बारे में नितिन गडकरी ने बताया
सरकार को नेशनल हाइवे पर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत चलने वाले टोल प्लाजा पर टैक्स के रूप में 1.44 लाख करोड़ रुपये की कमाई हुई है। इस बात की जानकारी केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने लोकसभा में एक लिखित सवाल के जवाब में दी। उन्होंने बताया कि यह कमाई दिसंबर 2000 से लेकर अब तक हुई है। इसके साथ ही उन्होंने के कहा कि नेशनल हाईवे के सभी उपयोगकर्ता टोल प्लाजा राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों और संग्रह का निर्धारण) नियम, 2008 और संबंधित रियायत समझौते के प्रावधान के अनुसार स्थापित किए गए हैं।
नितिन गडकरी ने कही ये बात
नीतिन गडकरी ने एक अलग सवाल का जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने फास्टैग के साथ एक एक्स्ट्रा फीचर लेकर आए है, जो इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (ईटीसी) सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए मुक्त टोलिंग के कार्यान्वयन की शुरुआत की है। उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में, ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) आधारित टोलिंग प्रणाली राष्ट्रीय राजमार्गों पर कहीं भी चालू नहीं है।
GNSS सिस्टम शुरू होने पर क्या होगा
हालांकि, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एनएच शुल्क नियम, 2008 (दिनांक 9 सितंबर, 2024) में संशोधन किया गया है ताकि ऑन-बोर्ड यूनिट (ओबीयू) के जरिए से जीएनएसएस-आधारित टोलिंग प्रणाली को सक्षम किया जा सके और जिन वाहनों में वैध, कार्यात्मक ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम ऑन-बोर्ड यूनिट नहीं लगी हो, उनके उपयोगकर्ताओं को उस टोल प्लाजा पर उस श्रेणी के वाहन के लिए लागू उपयोगकर्ता शुल्क के दो गुना के बराबर शुल्क का भुगतान करना होगा। अगर जीएनएसएस आधारित टोलिंग चालू हो जाती है।