अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करते हुए अजमेर सिविल न्यायालय पश्चिम में पेश किया गया। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से लगाई गई याचिका पर सुनवाई के दौरान भगवान शिव के बाल स्वरूप की तरफ से एडवोकेट रामस्वरूप बिश्नोई और ईश्वर सिंह ने बहस की।सिविल जज मनमोहन चंदेल की बेंच ने इस याचिका को सुनने योग्य माना है। मामले में अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को नोटिस देकर पक्ष रखने की बात कही है।रिटायर्ड जज हरविलास शारदा की 1911 में लिखी किताब अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव का हवाला देते हुए यहां मस्जिद के निर्माण में मंदिर का मलबा होने का दावा किया गया है। साथ ही गर्भगृह और परिसर में एक जैन मंदिर के होने की बात कही गई है।