संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से शुरू हो रहा है। यह पिछले 10 साल में सबसे आक्रामक हो सकता है। मगर, इसमें सत्ता पक्ष का दबदबा रहेगा या विपक्ष का, यह शनिवार को आ रहे महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों के नतीजों से तय होगा।अगर नतीजों से भाजपा को झटका लगा तो केंद्र सरकार के लिए विपक्ष के साथ ही सहयोगी दलों को साधना भी बड़ी चुनौती हो सकती है। यही नहीं, 2025-26 का बजट भी दो महीने बाद फरवरी में आना है। इसके अलावा, ये नतीजे 2025 में बिहार-दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनावों पर भी असर डाल सकते हैं। बिहार में भाजपा का सियासी भविष्य नीतीश कुमार के हाथों में है।अडाणी मुद्दे पर कांग्रेस जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी की मांग उठा चुकी है। मणिपुर में फिर हिंसा भड़कने और वहां पीएम के नहीं जाने से सरकार पहले से ही बचाव की मुद्रा में है। वक्फ विधेयक जैसे संवेदनशील मुद्दे से पार पाना सरकार के लिए चुनौती है, क्योंकि इस पर सहयोगी दलों के विचार एक नहीं हैं। सूत्रों का कहना है, नतीजे अगर अनुकूल न हुए तो सहयोगी दलों की उन मांगों पर भी तुरंत ध्यान देना होगा, जिस पर सरकार बाद में विचार कर सकती थी।