Violence In Manipur। मणिपुर में एक बार फिर हिंसा की आग तेज हो चुकी है। पिछले साल मई महीने से ही राज्य जातीय संघर्ष से जूझ रहा है।
केंद्र सरकार ने गृह मंत्रालय व सुरक्षा एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर मणिपुर के हालात की समीक्षा की और ताजा हिंसा को रोकने व तनाव करने के लिए जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए।
सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करने के लिए सोमवार को एक महत्वपूर्ण बैठक करेंगे। इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन और खुफिया ब्यूरो के निदेशक तपन डेका सहित अन्य शीर्ष अधिकारी शामिल हो सकते हैं।
5000 से अधिक कर्मियों को भेजा जाएगा मणिपुर
केंद्र सरकार ने मणिपुर में 5,000 से अधिक कर्मियों वाली अतिरिक्त 50 सीएपीएफ कंपनियां भेजने का फैसला किया है। गृह मंत्रालय (एमएचए) ने 20 अतिरिक्त सीएपीएफ कंपनियों, सीआरपीएफ से 15 और बीएसएफ से पांच को राज्य में भेजा है।
मणिपुर में फिर क्यों भड़क उठी हिंसा
मणिपुर में राहत शिविर से लापता महिलाओं और बच्चों के शव मिलने के बाद हिंसा भड़क उठी थी। भीड़ ने तीन मंत्रियों और मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के दामाद समेत छह विधायकों के घरों में तोड़फोड़ और आगजनी के अलावा दो चर्चों और तीन घरों को भी फूंक दिया था।बताया जाता है कि महिलाओं और बच्चों की उग्रवादियों ने हत्या की है। सोमवार को सीआरपीएफ के साथ मुठभेड़ में 10 कुकी उग्रवादी मारे गए थे। उग्रवादियों के हमले के बाद से बुजुर्ग महिला, उसकी दो बेटियां और तीन नाबालिग पोते-पोतियों का पता नहीं चल पा रहा था।गुस्साई भीड़ ने रविवार को निंगथौखोंग में लोक निर्माण मंत्री गोविंददास कोंथौजम, लंगमेइदोंग बाजार में भाजपा विधायक वाई. राधेश्याम, थौबल जिले में भाजपा विधायक पोनम ब्रोजेन और इंफाल पूर्वी जिले में कांग्रेस विधायक टी. लोकेश्वर के घरों में आग लगा दी। इस दौरान भीड़ ने तोड़फोड़ भी की। हमले के वक्त विधायक और उनके परिवार के सदस्य घर पर नहीं थे।