समाज के हर बच्चे को गरिमामय जीवन जीने का अधिकार - सरिता मीणा
बाल दिवस के अवसर पर जिला स्तरीय आमुखीकरण कार्यशाला संपन्न
बूंदी। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (अतिरिक्त जिला एवं सेशन न्यायाधीश) सचिव सरिता मीणा की अध्यक्षता में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला बाल संरक्षण इकाई एवं बाल अधिकारिता विभाग व एक्शन एड-यूनिसेफ के संयुक्त तत्वाधान में श्रम व प्रवास के जोखिम से बच्चों का बचाव परियोजनान्तर्गत बाल संरक्षण एवं संबंधित कानून, बाल श्रम, स्ट्रीट चिल्ड्रन, लिंग आधारित भेदभाव, बाल हिंसा व बाल विवाह रोकथाम, बालिका शिक्षा प्रोत्साहन, बच्चों के साथ बातचीत में संचार की बारीकियों एवं व्यापक बाल संरक्षण के लिए टीमवर्क, भूमिका एवं जिम्मेदारियां आदि विषयों पर बाल संरक्षण अधिकारियों, हितधारकों व एनजीओ प्रतिनिधियों की जिला स्तरीय आमुखीकरण कार्यशाला का आयोजन कलेक्ट्रेट सभागार में किया गया।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (अतिरिक्त जिला एवं सेशन न्यायाधीश) सचिव सरिता मीणा ने अपने उद्बोधन में कहा कि समाज के हर बच्चे को गरिमामय जीवन जीने का अधिकार है। बच्चों के साथ हमें इस तरह का व्यवहार करना चाहिए जिससे उनका कोमल मन कुंठित न हो। उनके साथ ऐसा दोस्ताना व्यवहार होना चाहिए जिससे वह अपनी परेशानियों को हमसे बेझिझक साझा कर सकें। तभी हम उनका बेहतर मार्गदर्शन कर उन्हें एक अच्छा नागरिक बना सकते हैं। उन्होने विभाग व एक्शनएड द्वारा जिले में बाल अधिकार, बाल संरक्षण के लिए व बाल विवाह रोकथाम के लिये किये जा रहे प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि बाल श्रम, बाल विवाह रोकथाम व बाल संरक्षण हेतु संयुक्त रूप से कार्ययोजना बनाकर कार्य करने पर बल दिया।
बाल कल्याण समिति अध्यक्ष सीमा पोद्दार ने अपने उद्बोधन में बाल श्रम व बाल विवाह पर चर्चा करते हुए कहा की आज की कार्यशाला में जो चर्चा हुई है उसे देखते हुए बच्चों, अभिभावको, शिक्षकों एवं स्थानीय हितधारकों में बाल लैंगिग दुर्वव्यहवार की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान एवं विभिन्न माध्यमों से जागरूक करने की आवश्यकता है, ताकि बच्चों के साथ होने वाले लैंगिग दुर्वव्यहवार से उनका संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।
सहायक निदेशक हुकुम चंद जाजोरिया ने जिला बाल संरक्षण इकाई की भूमिका व कार्यों पर विस्तारपूर्वक चर्चा करते हुए बताया कि बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए उनके साथ अच्छा व्यवहार जरूरी है। चाहे हम घर पर हो या फिर कार्यस्थल पर अथवा समाज में किसी स्थान पर भी बाल उत्पीड़न, बंधुआ मजदूरी अथवा लैंगिग उत्पीड़न का पता चलता है तो उसके प्रति संवेदनशील होना चाहिए।
एक्शनएड-यूनिसेफ जोनल कोर्डिनेटर जहीर आलम ने कार्यशाला में आए हुए बाल संरक्षण अधिकारियों एवम अन्य सेवा प्रदाताओं को बाल संरक्षण के लिए उनकी भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि बाल विवाह व बाल श्रम रोकथाम तथा बाल संरक्षण, किशोरी सशक्तिकरण, स्ट्रीट चिल्ड्रन, बालिका शिक्षा प्रोत्साहन हेतु विभागों के समन्वय से जिला स्तरीय विशेष कार्ययोजना विकसित कर जिला कलेक्टर के अनुमोदन पश्चात् गतिविधियों का आयोजन किया जायेगा।
बाल कल्याण समिति सदस्य मीनाक्षी मेवाड़ा ने समिति के कार्य व भूमिका पर चर्चा करते हुए किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012, बाल अधिकार आदि विस्तार से जानकारी दी। कार्यशाला में बाल कल्याण समिति के वरिष्ठ सदस्य छुट्टन लाल शर्मा ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया जबकि घनश्याम दुबे ने धन्यवाद अर्पित कर कार्यशाला का समापन किया।
श्रम विभाग से महेंद्र कुमार, शिक्षा विभाग से अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी गोस्वामी, , किशोर न्याय बोर्ड से राम देव गोचर, जय श्री लखोटिया, सहायक निदेशक धनराज मीणा शिक्षा विभाग व एक्शन एड-आईएलओ जिला समन्वयक सवाराम गरासिया आदि ने विभागीय कार्ययोजना एवं प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। कार्यशाला में जिला बाल संरक्षण इकाई से संरक्षण अधिकारी गोविंद कुमार गौतम, ओ.आर. डब्ल्यू.दीपिका वशिष्ठ, काउंसलर राजभवन, महिला अधिकारिता विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, मानव तस्करी विरोधी यूनिट, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, थाना स्तरीय बाल कल्याण अधिकारी, नेहरू युवा केंद्र, सखी सेंटर, महिला एवं सलाह सुरक्षा केंद्र, ग्राम राज्य विकास एवं प्रशिक्षण संस्थान, तेजस्विनी बालिका खुला आश्रय गृह, टैगोर ओपन शेल्टर होम प्रतिनिधि तथा चाइल्ड हेल्प लाइन समन्वयक राम नारायण गुर्जर सहित उपस्थित रहे।