बाकू। भारत ने प्रदूषण को सीमा के आरपार वाला मुद्दा बताते हुए पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों से इस पर सक्रिय और संयुक्त रूप से कदम उठाने का सख्त आग्रह किया है। यह अपील तब आई है जब उत्तरी भारत में प्रदूषण बढ़ रहा है और राजधानी नई दिल्ली में बुधवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक 418 पर पहुंचकर इस मौसम के सबसे गंभीर स्तर पर पहुंच गया।

 

वायु प्रदूषण कई देशों के लिए चुनौती

अजरबैजान में जारी संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन कॉप-29 में भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे द्वारा बुलाई गई बैठक में दुनिया के सबसे ऊंचे क्रायोस्फीयर जोन को साझा करने वाले आठ में से छह देशों के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख और मंत्रियों ने शिरकत की। बैठक में भारत ने सिंधु-गंगा मैदानी क्षेत्र की वायु गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले वायु प्रदूषण को इन राष्ट्रों के बीच आपसी चुनौती और दबाव डालने वाला बताया।पर्यावरण एवं वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के संयुक्त सचिव नरेश पाल गंगवार ने कहा, 'हमारे अधिकांश देश एक ही वायुक्षेत्र (सिंधु-गंगा मैदानी वायुक्षेत्र) के नीचे आते हैं। यह मुद्दा सीमा से परे है। सभी देशों को वायु प्रदूषण से निपटने के लिए मिलकर काम करना होगा।'

जल, भोजन और ऊर्जा पर संकट

जलवायु परिवर्तन से बढ़े तापमान ने यहां पर ग्लेशियरों की बर्फ पिघलने की रफ्तार बढ़ाई है, जिससे क्षेत्र के लाखों लोगों पर जल, भोजन और ऊर्जा सुरक्षा का संकट मंडराने लगा है। बैठक में पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश के प्रतिनिधियों ने भी क्षेत्र में प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से पैदा होने वाले खतरों से निपटने के लिए कई कदम उठाने की जरूरत बताई।

 

खरबों डॉलर की तुरंत जरूरत

कॉप-29 में में कई देशों ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए खरबों डॉलर की सख्त जरूरत है। जलवायु संबंधी खर्च को स्वीकृत और जारी करने के लिए आसान और तेज प्रक्रिया की आवश्यकता है। वहीं, विकसित देशों का समूह चाहता है कि मसौदा विस्तृत और वैश्विक निवेश लक्ष्यों के अनुसार होना चाहिए, जिसमें सरकारों, निजी कंपनियों और निवेशकों समेत कई स्त्रोतों से वित्तपोषण शामिल हो।