कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष के आठवें दिन गाय और भगवान कृष्ण की पूजा होती है। मान्यता है इस महीने की पहली तिथि पर श्रीकृष्ण ने बाढ़ से ब्रज वालों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था। इसके बाद आठवें दिन यानी अष्टमी को इंद्र ने श्रीकृष्ण से माफी मांगी थी और कामधेनु ने अपने दुध से भगवान का अभिषेक किया, इसलिए गोपाष्टमी पर गायों और बछड़ों को सजाया जाता है। उनकी पूजा होती है। ये पर्व मथुरा, वृंदावन ब्रज और अन्य जगहों पर खासतौर से मनाया जाता है।एक और मान्यता के मुताबिक इस दिन से ही श्रीकृष्ण ने गाय चरानी शुरू की थी। माता यशोदा प्रेम के कारण श्रीकृष्ण कभी गाय चराने नहीं जाने देती थीं, लेकिन एक दिन कृष्ण ने गाय चराने की जिद की। तब यशोदा ने ऋषि शांडिल्य से मुहूर्त निकलवाया और पूजन के लिए श्रीकृष्ण को गाय चराने भेजा। पुराणों में बताया गया है कि गाय में सभी देवी-देवताओं का वास होता है, इसलिए गाय की पूजा से सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं।