5 नवंबरः Maharashtra vidhan sabha election 2024: पिछले ढाई वर्षों में विभाजित हुए महाराष्ट्र के दो प्रमुख दलों के लिए ये विधानसभा चुनाव वर्चस्व की लड़ाई बन गए हैं। इस लड़ाई में दोनों शिवसेनाएं 49 सीटों पर और दोनों राकांपा 38 सीटों पर एक-दूसरे के सामने मैदान में हैं। ये 87 सीटें भी भविष्य में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे शरद पवार तथा अजीत पवार का वर्चस्व तय करेंगी।
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ओम धगाल - पूर्व प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भाजपा युवा मोर्चा
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महाराष्ट्र में करीब ढाई साल पहले शिवसेना में अब तक की सबसे बड़ी बगावत हुई थी। वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे उद्धव ठाकरे के नेतृत्ववाली अविभाजित शिवसेना से 40 विधायक लेकर अलग हो गए थे।
अजीत पवार के खेमे में शामिल हुए 41 विधायक
तब उद्धव के पास सिर्फ 15 विधायक बचे थे। इसी प्रकार करीब सवा साल पहले अजीत पवार ने भी राकांपा से बगावत कर दी थी। वह राकांपा के 52 विधायकों में से लगभग दो तिहाई विधायक तोड़कर राज्य में पहले से चल रही शिंदे सरकार में शामिल हो गए थे। बाद में राकांपा के 41 विधायक अजीत पवार के खेमे में शामिल हो गए थे। तभी से उद्धव ठाकरे अपने विधायकों के साथ-साथ अपने दल और चुनाव चिह्न की चोरी का आरोप एकनाथ शिंदे पर लगाते आ रहे हैं।जबकि राकांपा प्रमुख शरद पवार शुरुआत से ही कहते रहे हैं कि उन्हें नई पार्टियां खड़ा करने का बहुत अनुभव है। वह फिर से नई पार्टी को खड़ा कर लेंगे। हाल के लोकसभा चुनाव में यह साबित भी हो गया कि शरद पवार पुनः नया दल खड़ा करने में सक्षम हैं।
दोनों दलों की परीक्षा चुनाव में होगी
जबकि उद्धव ठाकरे सहानुभूति के सहारे वोट पाने में ज्यादा सफल नहीं हो सके। अब इन दोनों टूटे हुए दलों की असली परीक्षा विधानसभा चुनाव में होने जा रही है। जिसमें राज्य की 49 सीटों पर सीधा मुकाबला एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे की शिवसेनाओं के बीच और 38 सीटों पर सीधा मुकाबला शरद पवार और अजीत पवार की राकांपा के बीच हो रहा है। इसलिए यही सीटें उद्धव ठाकरे और शरद पवार का वर्चस्व तय करेंगी।किसको मिल सकता फायदा?
शरद पवार के उम्मीदवारों में ऐसे नेताओं की संख्या भी कम नहीं है, जो चुनाव से ठीक पहले भाजपा या राकांपा (अजीत) को छोड़कर शरद पवार के साथ आए हैं। ये उम्मीदवार भी अपनी सीटों पर अपने दम पर चुनकर आने की क्षमता रखते हैं। इन उम्मीदवारों को शरद पवार के रणनीतिक कौशल का भी लाभ मिलने की उम्मीद है।