राजस्थान में 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए नामांकन हो चुका है. टिकट बंटवारे के बाद कांग्रेस और बीजेपी में नेताओं के बगावती तेवर सामने आए थे. हालांकि, बीजेपी अपने बागियों को मनाने में सफल रही, जबकि कांग्रेस के बागी नेता नरेश मीणा निर्दलीय हुंकार भर रहे हैं. दिलचस्प बात है कि कांग्रेस उपचुनाव में अकेले ताल ठोक रही है. इससे पहले लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन को 25 में से 11 सीटें मिली थी. बीजेपी लोकसभा चुनाव में 11 सीटें गंवाने के बाद उपचुनाव में कोई रिस्क नहीं लेना चाह रही है. बीजेपी का उपचुनाव में सभी सातों सीटों पर जीत का लक्ष्य है. इसके लिए शीर्ष स्तर से लेकर जमीनी स्तर के नेता गणित बैठा रहे हैं. उपचुनाव को लेकर रविवार को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के आवास के कई घंटे बैठक चली. इस बैठक में राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष मदन राठौड़ भी मौजूद रहे. सीएम भजनलाल और प्रदेश अध्यक्ष राठौड़ ने बैठक में सात विधानसभा के प्रमुख भाजपा कार्यकर्ताओं की फ़ोन के ज़रिए चुनावों की स्थिति पर चर्चा की. इसके अलावा किस प्रकार से एक एक विधानसभा की मॉनिटरिंग को प्रभावी बनाया जाए, इसको लेकर भी रणनीति बनी. आदिवासी क्षेत्र को लेकर आदिवासी नेता महेंद्र जीत मालवीय के साथ रोडमैप पर बात की गई. वहीं, धनसिंह रावत से भी मुलाक़ात कर क्षेत्र की चुनावी गणित पर चर्चा की गई. सातों सीटों पर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने कई समितियां गठित कर दी हैं ,जिनके माध्यम से उपचुनाव में प्रचार प्रसार के अभियान के रोडमैप के बारे में भी चर्चा हुई. बीजेपी का उपचुनाव में जीत के लिए बूथ पर माइक्रो मैनेजमेंट पर फोकस है. बता दें कि राजस्थान में 7 सीटों पर 13 नवंबर को उपचुनाव होंगे, जबकि झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के साथ ही राजस्थान उपचुनाव के भी नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे. जिन 7 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें 5 विधायक के सांसद बनने के बाद सीट खाली हुई है. वहीं, 2 सीटों पर विधायकों के निधन के उपचुनाव हो रहा है. रामगढ़ सीट कांग्रेस विधायक जुबैर खान और सलूंबर सीट भाजपा विधायक अमृतलाल मीणा के निधन के कारण खाली हुई है. उपचुनाव वाली 7 में से 4 सीटें कांग्रेस थी, जबकि एक-एक सीट पर बीजेपी, आरएलपी और बीएपी के विधायक थे.