नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं के बीच गतिरोध को समाप्त करने के लिए भारत और चीन के बीच समझौते के कुछ दिनों बाद, वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसकी जानकारी सूत्रों के हवाले से सामने आई है।

 

क्षेत्र में दोनों ओर से एक-एक तंबू तथा कुछ अस्थायी संरचनाओं को हटा दिया गया है, तथा भारतीय सैनिक चार्डिंग नाला के पश्चिमी किनारे की ओर वापस लौट रहे हैं, जबकि चीनी सैनिक नाला के पूर्वी किनारे की ओर पीछे हट रहे हैं।

 

सूत्रों के अनुसार, दोनों तरफ लगभग 10-12 अस्थायी ढांचे और 12 टेंट हैं, जिन्हें हटाया जाएगा।

चीन ने भी की भारत के साथ समझौते की पुष्टि

चीन ने भी अगले दिन इस समझौते की पुष्टि की, बीजिंग ने कहा कि "प्रासंगिक मामलों" पर एक समाधान हो गया है और वह इन प्रस्तावों को लागू करने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करेगा।

 

वहीं, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि आगे चलकर उनका देश इन प्रस्तावों को लागू करने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करेगा।

 

बता दें कि सीमा पर सैनिकों की वापसी से दोनों एशियाई दिग्गजों के बीच तनावपूर्ण संबंधों में सुधार की उम्मीद है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात की और इस समझौते का समर्थन किया। इस बैठक के बाद दोनों पक्षों की ओर से विभिन्न द्विपक्षीय वार्ता तंत्रों को पुनर्जीवित करने के निर्देश दिए गए, जिससे संबंधों को सामान्य बनाने के प्रयासों का संकेत मिला।

 

भारत और चीन के बीच हुआ समझौता

भारत और चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) पर अपने सैनिकों को पीछे हटाने और फिर से पेट्रोलिंग शुरू करने के लिए एक नए समझौते पर पहुंचे हैं। कथित तौर पर यह समझौता डेपसांग और डेमचौक इलाकों में पेट्रोलिंग से संबंधित है।

 

जानकारी के मुताबिक संघर्ष के इन दोनों बिंदुओं (डेपसांग और डेमचौक) पर पेट्रोलिंग शुरू हो चुकी है और जल्द ही दोनों देश अपने सैनिकों को पीछे हटाना शुरू कर देंगे, जिसे मिलिट्री टर्म में डिसइंगेजमेंट कहते हैं।