दीपावली नजदीक आते ही जिले में पूर्व पटाखे की स्टॉक के लिए अवैध गोदाम बनने लगे हैं प्रशासन के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए कार्यवाही से बचने के लिए अब शहर से बाहर गांवो में पटाखों के स्टॉक के लिए अवैध गोदाम बनाने शुरू कर दिए हैं खासतौर बात की जाए तो तिलवाड़ा गांव में घनी आबादी से 300 मीटर तथा सीनियर स्कूल से मात्र 200 मीटर दूर इतना बड़ा विशाल बारूद का गोदाम जो 72 टन पटाखे की सुरक्षा के लिए गोदाम में आग के रोकथाम के लिए संसाधन मात्र जो दो बाल्टी रेट ,दो बाल्टी पानी तथा दो सिलेंडर से हो रही है, लेकिन बालोतरा में मात्र 100 किलो की दुकान के लिए इतनी बड़ी सुरक्षा पूरी एक फायर ब्रिगेड खड़ी करनी पड़ती है जबकि 72 हजार किलो के लिए मात्र दो बाल्टी पानी और दो बाल्टी रेट तथा सिर्फ और सिर्फ दो सिलेंडर जबकि रिहायशी इलाकों में पटाखे स्टोर करने पर बैन है। यही नहीं, प्रशासन भी हर वर्ष पटाखों के गोदाम आबादी से दूर बनाने की हिदायते जारी की जाती हैं। लेकिन हिदायतों व खतरों को नजरअंदाज किया जा रहा है बता दे कि पिछले साल बालोतरा फायर से कार्यवाही करने गए अधिकारियों पर भी कार्मिक तथा पटाखा कारोबारी उन पर भी हमला करने लग गए थे आखिर सवाल यह उठता है कि 72 टन फटाखे यानी बालोतरा में लगने वाली 50 दुकानों से 12 गुना अधिक फिर भी कोई सुरक्षा नहीं दर्जनों ट्रक खाली होते तथा सैकड़ो ग्राहक खरीदने आते हैं यह पटाखे आखिरकार यदि कोई बड़ा हादसा होता है तो इसकी कीमत और कितनी तथा कौन चुकाएगा या फिर इन अवैध गोदाम तथा ब्लैक में बिकते इन हादसों के पटाखे पर रोक क्यों नहीं लगती, पटाखे की अवैध गोदाम से बने ग्रामीणों की चिंता बढ़ गई है