बूंदी। जिले मे लगातार बढ रही डीएपी खाद की किल्लत से किसानो सहित सहकारी समितियो व खाद विक्रेताओ मे नाराजगी बढती जा रही है पर जिम्मेदार जिले को डीएपी खाद की किल्लत से निजात दिलाने के लिये प्रयास करना तो दूर हाथ खडे कर चुके है नतीजन किसान परेशान है और खाद ब्लेक होने का अंदेशा जताया जा रहा है।
शुक्रवार को जिले की सहकारी समिति अध्यक्षो ने कलक्टर से मिलकर पर्याप्त मात्रा मे डीएपी खाद की उपलब्धता की मांग रखते हुये केन्द्रीय कृषि मंत्री व लोकसभाध्यक्ष के नाम ज्ञापन सौपा। सहकारी समिति अध्यक्षो ने कलक्टर को बताया कि जिले में अधिकतर क्षेत्र असिचित होने के कारण चना एवं सरसों की बुवाई हेतु किसानो को डी.ए.पी. खाद की शीघ्र आवश्यकता है। कोटा जिले में दो कम्पनीयो की गुरुवार को 2500 एम०टी० डी.ए.पी. की रेक आई लेकिन बून्दी जिले की किसी भी ग्राम सेवा सहकारी समिति एवं क्रय-विक्रय सहकारी समिती को एक भी गाडी डी.ए.पी. खाद की उपलब्ध नही करवाई गई। इस दौरान सहकारी अध्यक्षो ने कलक्टर से समय पर फसलो की बुवाई हो सके इसके लिये डी.ए.पी. खाद उपलब्ध करवाने की मांग रखी। बून्दी क्रय-विक्रय सहकारी अध्यक्ष पवन कुमार बैरागी, करवर ग्राम सेवा अध्यक्ष राकेश जैन, उपाध्यक्ष बाबूलाल गूर्जर के.वि.एस.एस. बून्दी, जरखोदा ग्राम सेवा सहकारी अध्यक्ष मियाराम गुर्जर, सुन्दरपुरा ग्राम सेवा सहकारी अध्यक्ष श्योजी लाल मीणा व जिले की 100 से अधिक ग्राम सेवा सहकारी समितियों के अध्यक्ष उपस्थित रहे।
डीएपी, यूरिया खाद आंवटन मे भी कुठाराघात - हरिमोहन
वही दूसरी और बूंदी विधायक हरिमोहन शर्मा ने भी कलक्टर को पत्र लिखकर अवगत करवाया कि वर्तमान में किसानों को डीएपी, यूरिया खाद की अति आवश्यकता है लेकिन किसानों को खाद उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। साथ में किसानों को जबरन अटैचमेंट दिया जा रहा है। अगर सहकारी समितियों को उचित समय पर डीएपी खाद नहीं मिला तो वह किसानो समय पर खाद नही दे सकेगे और इस कारण सभी सहकारी समितियों के अध्यक्षो को त्याग पत्र देने के लिए बाध्य होना पडेगा। शर्मा ने कहा कि कोटा में 2500 मेट्रिक टन डीएपी खाद आईपीएल किस्म का उतरा है लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है की बून्दी जिले को केवल 194 मेट्रिक टन खाद मिला है। डीएपी आवंटन के संबंध में उपनिदेशक कृषि विभाग व जिला कलक्टर ने इस समस्या को उचित माना है लेकिन निराशा हाथ लगी। लगातार बूंदी के साथ हर क्षेत्र में भेदभाव किया जा रहा है जिसकी में कड़े शब्दों में निंदा करता हूं। अगर किसानों को उचित समय पर खाद नहीं मिला तो विरोध प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
इनका कहना है.....................
बूंदी जिले में अभी रबी फसल की बुवाई का सीजन चल रहा है जिसमें बूंदी जिले मैं डीएपी उर्वरक की भारी कमी हो रही है इसके संबंध में मेरे द्वारा जिले के प्रभारी व ऊर्जा मंत्री लोकसभाध्यक्ष, केंद्रीय कृषि मंत्री, कृषि आयुक्त महोदय को अवगत करवा दिया गया है लेकिन बूंदी जिले में डीएपी उर्वरक की हो रही कमी के संबंध में आज तक समाधान नहीं किया गया है। डीएपी आवंटन मे बूंदी के साथ में सौतेला व्यवहार किया जा रहा है जो भी डीएपी की रेक कोटा जिले में लगती है उसमें से जिले में माल नहीं दिया जा रहा है। बूंदी जिले में डीएपी की भारी कमी की वजह एक वजह यह भी है कि बूंदी जिले में कोई भी कंपनियों का होलसेलर नहीं है सभी होलसेलर कोटा जिले के हैं जो अपनी मनमर्जी करते हैं और बूंदी जिले के नाम पर अलॉटमेंट हुये डीएपी को खुर्द करते हैं जिसका पता कृषि विभाग बूंदी को भी नहीं चलने देते हैं। भवंरलाल नागर, जिलाध्यक्ष बूंदी एग्रीकल्चर इनपुट डीलर एसोसिएशन
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