किसान नेता और संयुक्त संघर्ष पार्टी के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने हरियाणा में कांग्रेस की हार के पीछे भूपेंद्र सिंह हुड्डा को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले ही उन्होंने चेतावनी दी थी कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस का नाश करेंगे और अब यह सच साबित हो गया है। चढूनी ने कहा कि हमें लोकसभा चुनाव में एक टिकट देने का वादा किया गया था, लेकिन बाद में भूपेंद्र सिंह मुकर गए। अगर वह अभय चौटाला के साथ समझौता करते और एक टिकट देते, तो उनकी पार्टी को हरियाणा में 9 सीटें मिल सकती थीं. किसान नेता के मुताबिक विधानसभा भूपेंद्र सिंह ने उनके साथ गद्दारी की। बोले, लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने मुझे फोन किया और कहा कि मुझे रोहतक सीट पर समर्थन कर दो। हालांकि, उन्हें पूरे हरियाणा के लिए बात करनी चाहिए थी। गुरनाम सिंह ने आरोप लगाया कि हुड्डा ने कई बड़े नेताओं को किनारे कर दिया। किसान नेताओं से भी पल्ला झाड़ा। इनमें रमेश दलाल, हर्ष छिकारा, बलराज कुंडू, कुमारी शैलजा, किरण चौधरी, रणदीप सुरजेवाला नाम शामिल हैं। किसान नेता के मुताबिक हुड्डा सभी को किनारे करते-करते खुद किनारे लग गए हैं। मुझे विश्वास था कि राहुल गांधी ने किसान नेताओं को चुनाव में तवज्जो देने की बात की थी। प्रियंका गांधी ने भी कहा था कि किसान नेताओं को साथ रखना फायदेमंद होगा, लेकिन भूपेंद्र सिंह ने ऐसा नहीं किया। चढूनी ने कांग्रेस हाईकमान से अपील की कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष न बनाएं। उन्होंने कहा, पिछले 10 सालों में भूपेंद्र सिंह ने विपक्ष की भूमिका नहीं निभाई, जबकि किसान यूनियन ने यह भूमिका निभाई है। वहीं, किसान आंदोलन के बारे में उन्होंने कहा कि यह गलत हाथों में चला गया है। मेरी विचारधारा अब यह है कि हमें संसद या विधानसभा में पहुंचना चाहिए, ताकि हम अपनी आवाज उठा सकें। चढूनी ने कहा कि वह लोगों की जागरूकता को लेकर हैरान हैं। आज कई किसान नेता भाजपा के साथ खड़े हैं। साल 2001 में मैंने अपने पैसों से जमीन मुक्ति का काम किया, लेकिन लोग उसे भूल गए। आज वही लोग बीजेपी के साथ हैं। उन्होंने कांग्रेस पर बड़ा हमला करते हुए कहा, राजनीति में पैसे का खेल आम है, लेकिन कांग्रेस पार्टी के अहंकार ने उसे नुकसान पहुंचाया है।