131वें राष्ट्रीय मेला दशहरा 2024 के अंतर्गत शुक्रवार को दुर्गाष्टमी पर आशापुरा माताजी मंदिर पर भजन संध्या का आयोजन किया गया। इस दौरान प्रख्यात भजन गायक प्रकाश माली ने एक से बढ़कर भजन गाकर भक्ति सरिता बहाई। शुभारंभ भाजपा शहर जिला अध्यक्ष राकेश जैन तथा मेला समिति अध्यक्ष विवेक राजवंशी ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ की। भजन संध्या की शुरूआत प्रकाश माली ने गणपति स्तुति के साथ ‘‘गौरी के नंदा गजानंद...’लाडले गणेश प्यारे प्यारे.. विघ्नहरण मंगल करण’ भजन की शानदार प्रस्तुति से की। इसके बाद गुरु वंदना गुरुदेव दया करना, मुझको अपना लेना..' की प्रस्तुति दी। प्रकाश माली ने माता आशापुरा के भजनों के साथ श्रीराम, वीर हनुमान के गीत भी गाए। उन्होने देशभक्ति एवं गौ सेवा को लेकर एक से बढ़कर एक भजनों और गीतों से झूमने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद चौसठ जोगणी रे भवानी.. मैया आओ तो मनडे री बात कर ल्यां.. थारी बाड़ल्याँ में जीवडो.. निहाल कर ल्यां.. शक्ति का रुप बाणाया म्हारी अम्बे मां.. माता जिनको याद करे वो लोग निराले होते हैं.. चलो बुलावा आया है.." की प्रस्तुति दी तो माता के जयकारे गूंज उठे। इसके बाद शिवजी का भजन "जटा मुकुट में गंगा विराजे.. की प्रस्तुति दी। दुर्गा चालीसा "जय जय जय महिषासुर मर्दिनी.." की प्रस्तुति ने तो भजन संध्या को आसमान पर पहुंचा दिया। प्रकाश माली ने लक्ष्मण शक्ति बाण कथा का वर्णन करते हुए "आ लौट के आजा हनुमान, तुझे श्रीराम बुलाते हैं..." सुनाकर हर किसी को भावविभोर कर दिया। उन्होंने भारतीय सेना से लेकर भारतीय किसान तक, गाय से लेकर गरीबी मिटाने के तरीकों तक के कर्णप्रिय भजन गाए। गौ भक्ति और भजनों की मधुर आवाज ने गौ भक्तों का मन मोह लिया।
*राष्ट्रवाद की वही बयार, लगे वंदेमातरम् के घोष*
गायक प्रकाश माली ने अपने सुप्रसिद्ध गीत ‘‘मायड़ थारौ पूत कठै, ओ महाराणा प्रताप कठै...’’ के माध्यम से महाराणा प्रताप की वीरता का बखान करते हुए श्रोताओं की तालियां बटोरी। इस गीत के माध्यम से हल्दीघाटी में हुए अकबर और महाराणा प्रताप के बीच के युद्ध को आंखों के सामने साकार कर दिया। महाराणा प्रताप का बखान करते हुए प्रकाश माली ने जैसे ही ‘‘हल्दीघाटी में समर लड्यो...’’ गाया चारों ओर ‘‘वन्देमातरम्... भारत माता की जय... राणा की जय जय...’’ के उद्घोष से मेला परिसर गूंज उठा।
*गौ माता की महिमा गाई*
गायक प्रकाश माली ने फिल्म बाहुबलि के गाने की तर्ज पर भगवान शंकर पर लिखा भजन ‘‘कौन हूं, आया कहां से...’’ की प्रस्तुति देकर शिवपूजा को साकार किया। इसके बाद गौ माता की महिमा सुनाते हुए वर्तमान में देश में गायों की स्थिति को लेकर पेश किए भजनों पर श्रोताओं में गौ माता के प्रति श्रद्धा के भाव भर दिए। उन्होंने ‘‘धीन माता धीन धरती, थने कदे न देके फिरती हो...’’ गाकर गौमाता की स्थिति का बखान किया। इसके बाद देर रात तक भजनों की प्रस्तुति पर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया।
*...और बारिश थम गई*
आकाश माली ने कहा कि माता आशापुरा माताजी का मंदिर अति प्राचीन है। कोटा पर माता की अति कृपा है। माता की कीर्ति बहुत दूर तक है। मैंने माता से बारिश को कुछ देर थमने और दो-तीन घंटे भजन की प्रस्तुति देने की विनती की और बारिश रुक गई।