हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को आशातीत सफलता नहीं मिलने से कांग्रेस के खेमे में मायूसी है. राजस्थान से कांग्रेस नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी के साथ हरियाणा चुनाव में झोंका गया था, लेकिन पार्टी को जीत नहीं मिली. एआईसीसी ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को हरियाणा चुनाव के लिए सीनियर ऑब्जर्वर बनाकर भेजा था. इसके साथ ही 6 सांसद व 13 विधायकों समेत 25 दिग्गज नेताओं को प्रचार के लिए उतारा था. माना जा रहा है कि हरियाणा के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ, जब किसी पड़ोसी राज्य से इतनी बड़ी संख्या में नेताओं को चुनावी समर में उतारा गया. कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट व प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को स्टार प्रचारक बनाया गया था. अशोक गहलोत, सचिन पायलट, गोविंद डोटासरा और टीकाराम जूली के अलावा सांसद बृजेंद्र ओला, राहुल कस्वां, कुलदीप इंदौरा, भंवर जितेंद्र सिंह, अर्चना शर्मा, नीरज डांगी, धीरज गुर्जर, संगीता गर्ग, अमित चाचाण, श्रवण कुमार, पितराम काला, मुकेश भाकर, मनीष यादव, महेश शर्मा, ललित यादव, शिखा मील बराला, विकास चौधरी, सुशील मोदी, यशवीर सूरा, अनिल चोपड़ा, राजेंद्र मूंड और सीताराम लांबा ने भी हरियाणा चुनाव में अहम भागीदारी निभाई. अशोक गहलोत, सचिन पायलट, गोविंद सिंह डोटासरा, टीकाराम जूली, भंवर जितेंद्र सिंह सहित राजस्थान के कांग्रेस नेताओं ने राजस्थान की सीमा से सटी हरियाणा की विधानसभा सीटों पर 45 से ज्यादा चुनावी सभाएं की. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की सभाओं में भी राजस्थान के नेता जुटे. हालांकि, उतने वोट पार्टी प्रत्याशियों को नहीं दिला पाए, जितनी उम्मीद की जा रही थी.

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