भारत में नई आध्यात्मिक, सामाजिक चेतना जाग्रत की अहिल्या बाई होल्कर ने - प्रो. त्रिपाठी
बूंदी। लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर का भारतीय संस्कृति की पुनर्स्थापना और पुनर्निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं। यह विचार स्वतःस्फूर्त होकर निकले लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर के 300 वें जन्म जयंती वर्ष पर आयोजित व्याख्यानमाला में, जो राजकीय कन्या महाविद्यालय में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की स्थानीय इकाई द्वारा बीआरएसएम कोटा विभाग संयोजक राहुल सक्सेना के मुख्यातिथ्य और कार्यवाहक प्राचार्य डॉ आशुतोष बिरला की अध्यक्षता में आयोजित की गई। व्याख्यानमाला में मुख्य वक्ता प्रो देवी प्रकाश त्रिपाठी तथा विशिष्ट अतिथि प्रो. पूर्ण चंद्र उपाध्याय रहे। 
विषय प्रवर्तन करते हुए एबीआरएसएम कोटा विभाग संयोजक राहुल सक्सेना ने बताया कि राजमाता अहिल्याबाई होल्कर भारत की उन महिला शासिकाओं में से एक थी, जिन्होंने भारतीय संस्कृति की पुनर्स्थापना और पुनर्निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान दिया।
मुख्य वक्ता प्रो देवी प्रकाश त्रिपाठी ने लोकमाता अहिल्या बाई होल्कर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी एक सुदृढ़ साम्राज्य की स्थापना की। प्रो त्रिपाठी ने लोकमाता के द्वारा किये जाने वाले कार्यों की आर्थिक, सामाजिक एवं धार्मिक पक्ष से व्याख्या की और स्पष्ट किया कि अहिल्या बाई होल्कर ने भारत में नई आध्यात्मिक, सामाजिक चेतना उत्पन्न की। इस दौरान प्रो पूर्ण चंद्र उपाध्याय ने छात्राओं को उनके जीवन से प्रेरणा लेने का आग्रह करते हुए इतिहास अध्ययन में ऐसी विभूतियों को शामिल किए जाने की आवश्यकता जताई।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कार्यवाहक प्राचार्य आशुतोष बिरला ने राजमाता अहिल्याबाई होल्कर को नारी सशक्तिकरण की प्रतीक बताते हुए हम सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेने की आवश्यकता जताई। कार्यक्रम का संचालन इकाई सचिव डॉ हेमराज सैनी द्वारा किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के सभी संकाय सदस्य तथा बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित रही।