सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यों के परिवहन मंत्रियों की पिछले साल हुई बैठक में यह मुद्दा उठाया था। उनकी अपेक्षा यह है कि अधिकतम सौ किलोमीटर के दायरे में ये सेंटर उपलब्ध हों जिससे हर वाहनों की फिटनेस जांच इन सेंटरों से अनिवार्य करने की व्यवस्था सही तरह लागू हो सके। यही स्थिति ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटरों की भी है।
आटोमेटेड फिटनेस टेस्टिंग और ड्राइवर ट्रेनिंग सेंटरों की स्थापना के आवेदनों पर राज्यों को छह माह के भीतर फैसला लेना होगा। अगर वे ऐसा नहीं कर पाते तो केंद्र सरकार के मानकों और दिशा-निर्देशों के आधार पर निर्णय हो जाएगा। केंद्र सरकार ने मोटर वाहन कानून में जिन 67 संशोधनों पर 15 अक्टूबर तक लोगों से सुझाव मांगे हैं, उनमें राज्यों के लिए कई सेवाओं को मंजूरी देने के सिलसिले में समयसीमा तय करना भी शामिल है। कैब एग्रीगेटरों के आवेदनों पर भी राज्यों को छह माह में ही फैसला लेना है। उद्देश्य यह है कि इस व्यवस्था से सड़क परिवहन से जुड़े गंभीर विषय अनिश्चित काल तक न खिंचें।
सौ किलोमीटर के दायरे में ये सेंटर उपलब्ध हों
आटोमेटेड फिटनेस टेस्टिंग सेंटरों की स्थापना का काम बहुत पिछड़ा हुआ है। अब तक मुश्किल से ऐसे सौ सेंटर स्थापित हो पाए हैं। निजी क्षेत्र की प्रतिक्रिया भी ठंडी रही है। सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यों के परिवहन मंत्रियों की पिछले साल हुई बैठक में यह मुद्दा उठाया था। उनकी अपेक्षा यह है कि अधिकतम सौ किलोमीटर के दायरे में ये सेंटर उपलब्ध हों, जिससे हर वाहनों की फिटनेस जांच इन सेंटरों से अनिवार्य करने की व्यवस्था सही तरह लागू हो सके। यही स्थिति ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटरों की भी है।