बूंदी। बून्दी रियासत की कुलदेवी माँ आशापुरा के नाम पर बून्दी रियासत की सम्पति के उचित देखरेख एवं संरक्षण हेतु कुलदेवी आशापुरा माताजी ट्रस्ट के कार्यालय का नवरात्रा स्थापना के पावन पर्व पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ विधिवत शुभारम्भ मोती महल रावला में हो गया है। शारदीय नवरात्रा के पावन पर्व पर मोतीमहल स्थित आशापुरा माताजी मन्दिर पर नौ दिवसीय अखण्ड रामायण पाठ का शुभारम्भ एवं आशापुरा माताजी ट्रस्ट के कार्यालय का उद्घाटन भगवान गणेश जी और बून्दी के आराध्य देव रंगनाथ जी की पूजा अर्चना कर महाराव राजा वंशवर्द्धन सिंह व युवराज मानवेन्द्र प्रताप सिंह अलवर ने किया ।
कुलदेवी आशापुरा माताजी ट्रस्ट के मेनेजर सिल्विन क्वाड्रिस ने बताया कि हाड़ा राजपूत चौहान (राजवंश की कुलदेवी आशापुरा माताजी का मन्दिर मोती महल में बून्दी स्थापना के साथ ही स्थापित है। कुलदेवी आशापुरा माताजी ट्रस्ट के ट्रस्टी युवराज मानवेन्द्र प्रताप सिंह ने माताजी की पूजा अर्चना कर आरती उतारी और कहा कि बून्दी के ऐतिहासिक स्मारकों को संरक्षित करने का विगत समय से जारी है जिसे और अधिक गति दी जायेगी। इसके लिए उन्होने बून्दी की जनता को सहयोग करने का आव्हान किया। युवराज मानवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि बून्दी का इतिहास गौरवमयी इतिहास है और ट्रस्ट द्वारा इमानदारीपूर्वक उक्त इतिहास से प्रेरणा लेकर विभिन्न नवाचारों के माध्यम से आमजन को जोड़ने का कार्य किया जायेगा। इसके लिए मोती महल में नवरात्री के पावन पर्व पर ट्रस्ट का कार्यालय ने कार्य करना प्रारम्भ कर दिया है। जिसमें लोग अपने सुझाव दे सकेंगे । अच्छे सुझावों को लागू करने का प्रयास ट्रस्ट में माध्यम से किया जावेगा । ज्ञात रहे कि मोती महल में आशापुरा माताजी मन्दिर का निर्माण 1626 ईस्वी में राव रतन सिंह ने करवाया था तथा मूर्ति की स्थापना 1627 ईस्वी में हुयी थी । तत्पश्चात् बून्दी पहली पाठशाला रावला में 1870 में ईस्वी में स्थापित की । विद्यालय के प्रथम प्रधानाध्यापक पण्डित गंगा सहाय जी थे।
इस अवसर पर राजपुरोहित रमेश शर्मा, राजेश बना, राज आचार्य दयानन्द दाधीच, अभय दाधीच, राज व्यास बृजगोपाल व्यास, पुरुषोत्तम व्यास, रमेश व्यास ने राजसी परम्परा से सम्पूर्ण कार्यक्रम सम्पन्न करवाया। कार्यक्रम में गणमान्य नागरिक, विभिन्न समाजों के प्रतिनिधि, सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी, बून्दी रियासत के पूर्व जागीरदार, ठिकानेदार भी मौजूद रहे। आशापुरा माताजी की महा आरती पश्चात् उपस्थित आम और खास ने प्रसादी ग्रहण की।