राजस्थान में मच्छर जनित बीमारियां डेंगू और स्क्रब टाइफस का स्प्रेड खतरनाक गति तक पहुंच गया है। बीते सात दिन में डेंगू के मरीजों का आंकड़ा एक हजार की बढ़ोत्तरी के साथ 3900 से करीब 4900 तक पहुंच चुका है। चिंता की बात यह है कि मच्छर जनित ये दोनों बीमारियां लोगों की जिंदगियां भी लील रही है। लेकिन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी किए जाने वाले आंकड़ों में कई मौतों को उजागर ही नहीं किया गया है। राजस्थान पत्रिका ने प्रदेश के जिलों से जानकारी जुटाई तो डेंगू से 6 मौतें बताई गई हैं। जबकि विभाग ने अपने आंकड़ों में सिर्फ एक मौत को उजागर किया है। इसी तरह स्क्रब टाइफस से विभाग ने पूरे राज्य में 6 मौतें बताई हैं। जबकि अकेले जयपुर के सवाईमानसिंह अस्पताल में इस वर्ष इस बीमारी से 10 मरीज दम तोड़ चुके हैं। हैरत की बात यह है कि उच्च् स्तर से लगातार मौसमी बीमारियों की समीक्षा किए जाने के बावजूद चिकित्सा कर्मी और बच्चों की मौत तक के आंकड़े सरकारी सूची में शामिल नहीं किए गए। विभाग की ओर से एक अक्टूबर तक के जारी आंकड़ों में प्रदेश में डेंगू के 4816 मरीज और कोटा में एक की मौत बताई गई है। जबकि अन्य जिलों में भी मौतें हो चुकी हैं। इनमें 2-2 जयपुर-जोधपुर-बांसवाड़ा और एक धौलपुर जिले की है।मौसमी बीमारियों के पीक सीजन में चिकित्सा मंत्री के सख्त निर्देशों के बावजूद बीमारियों के आंकड़ों को जुटाने में भी लापरवाही बरती जा रही है। विभाग की ओर से जारी की जाने वाली मौसमी बीमारियों की सूचना में डेंगू के लिए 50 जिले माने गए हैं, वहीं स्क्रब टाइफस की जानकारी 33 जिलों के आधार पर दी जा रही है। जबकि राज्य में जिलों का पुनर्गठन होने के साथ ही विभाग सभी 50 जिलों के लिए पृथक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों की नियुक्ति कर चुका है। जबकि बीमारियों का मॉनिटरिंग तंत्र ही अब 50 जिलों के आधार पर है।