महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नीत सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। राज्य सरकार ने सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में कई अहम फैसले लिये। इसमें देशी गायों को ‘राज्यमाता-गोमाता’ घोषित करने का भी निर्णय किया गया है। महाराष्ट्र कैबिनेट की बैठक में राज्य की देशी गायों को ‘राज्यमाता-गोमाता’ घोषित करने के प्रस्ताव पर चर्चा की गई। चर्चा के बाद इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया है और इस संबंध में शासनादेश (जीआर) जारी कर दिया गया।राज्य सरकार ने भारतीय परंपरा में गायों के सांस्कृतिक महत्व का हवाला देते हुए यह कदम उठाया। इस संबंध में जीआर जारी कर दिया गया है। इसमें देसी गायों की संख्या में बड़े पैमाने पर कमी आने को लेकर चिंता व्यक्त की गई है। सरकारी आदेश में कहा गया है कि, “देसी गाय के दूध की पौष्टिकता अधिक होती है। देसी गाय का दूध संपूर्ण आहार है क्योंकि इसमें मानव पोषण के लिए आवश्यक पोषक तत्व मौजूद होते हैं। देसी गाय के दूध की मानव आहार में महत्त्व, आयुर्वेद चिकित्सा में पंचगव्य का उपयोग तथा जैविक खेती में देशी गाय के गोबर एवं गोमूत्र के महत्व को देखते हुए देशी गायों की संख्या में कमी चिंता का विषय बनती जा रही है। ऐसे में पशुपालकों को देशी गायों को रखने के लिए प्रेरित करने हेतु उन्हें ‘राज्यमाता-गोमाता’ घोषित करने का अनुमोदन किया गया है।“
Join our app to earn points & get the text & video content in your preffered language
PLease Click Here to Join Now
Search
Categories
- City News
- State News
- National
- Crime
- Entertainment
- Viral News
- Special
- Sports
- Politics
- Business
- International
- Health
- Spiritual
- Agriculture
- Education
- Election
Read More
*शासनाच्या सूचनांचे पालन करुन उत्साहाने गणेशोत्सव साजरा करू या*
*-अपर जिल्हाधिकारी अमोल यादव*
गणेशोत्सव दि.31 ऑगस्ट 2022 पासून सुरु होत आहे.गणेशोत्सवासाठी कोकणात राज्याच्या विविध...
डॉ जगदीश श्रीराम टेकाळे सामाजिक बांधिलकी म्हणून डॉ व्यवसायात उतरले तर समाजाची नाळ आणि असंख्य प्रश्नांचे उत्तर श्रीराम टेकाळे यांचे सुपुत्र डॉ जगदीश टेकाळे देतात
-होय बीडचा सुपुत्र असून माझ्या मायभूमीत महिनाभरातून दोनच दिवस दुसऱ्या व चौथा रविवार मी रुग्ण सेवा...
ডুমডুমাৰ সমীপৰ চামডাং চাহ বাগিচাত সংঘটিত হৈছে ডকাইতিৰ কাণ্ড
ডুমডুমাৰ সমীপৰ চামডাং চাহ বাগিচাত সংঘটিত হৈছে ডকাইতিৰ কাণ্ড