राजस्थान में 12 शहरों के मास्टर प्लान ठेकेपर तैयार होंगे। इनमें जयपुर के अलावा डीडवाना, अनूपगढ़, पीलीबंगा, तिजारा, शाहपुरा, बाडी, डीग, फलौदी, आबू रोड, अंता, प्रतापगढ़ शामिल है। साथ ही 38 नवगठित शहरों के लिए भी मसौदा तैयार किया जा रहा है। नगर नियोजन विभाग और टाउन प्लानिंग शाखा में नगर नियोजकों की फौज होने के बावजूद इस काम को आउटसोर्स किया जा रहा है। इससे मास्टर प्लान (लागू होने से पहले) की गोपनीयता खत्म होने की भी आशंका है, क्योंकि कंपनी के लिए क्या-क्या राइडर लगाए हैं, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है। भीनमाल, कपासन, प्रतापपुर गढ़ी, महुवा के नए मास्टर प्लान को स्वीकृति मिल गई। जबकि देवली, ईटावा, खाटूश्यामजी और रूपवास का नगरीय निकाय में ड्राफ्ट जारी कर दिया गया। इन आठों शहरों का मास्टर प्लान नगर नियोजकों ने ही बनाया है। ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि जब इन शहरों का काम अफसर कर सकते हैं तो फिर दूसरे शहरों का ठेके पर क्यों? इस बीच जयपुर शहर का मामला ज्यादा चर्चा में है। मास्टर प्लान तैयार करने की लागत पहले 10 करोड़ रुपए आंकी गई। फिर एरिया तीन हजार से बढ़ाकर चार हजार वर्ग किलोमीटर करना तय हुआ तो लागत 15 करोड़ रुपए (जीएसटी के अलावा) हो गई। लेकिन जब निविदा खुली तो नगर नियोजकों के होश उड़ गए। निविदा में सफल होने वाली एकमात्र कंपनी ने करीब 32 करोड़ रुपए का खर्चा बता दिया। यानि, करीब-करीब दोगुना ज्यादा राशि। अफसर अब चहेतों को उपकृत करने की तैयारी कर रहे हैं। जयपुर शहर का मास्टर प्लान वर्ष 2047 तक के लिए बनाया जाएगा।

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