केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि राजा (शासक) को ऐसा होना चाहिए कि कोई उसके खिलाफ बात करे, तो उसे बर्दाश्त करे। आलोचनाओं का आत्मचिंतन करे। यही लोकतंत्र की सबसे बड़ी परीक्षा होती है।गडकरी ने ये बातें पुणे में शुक्रवार को MIT वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी में पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में कही। गडकरी ने कहा कि साहित्यकारों, बुद्धिजीवियों और कवियों को अपने विचार खुलकर और दृढ़ता से व्यक्त करने चाहिए।आजकल राजनीति में जो हो रहा है, वह दूसरी जगहों (विदेशों में) पर भी हुआ है। वहां पार्टियों का अस्तित्व तक खत्म हो गया। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 14 सितंबर को एक खुलासा कर सबको चौंका दिया था। गडकरी ने कहा था कि एक बार एक नेता ने उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए समर्थन देने की पेशकश की थी। हालांकि गडकरी ने यह ऑफर यह कहकर ठुकरा दिया कि उनकी ऐसी कोई लालसा नहीं है।गडकरी ने कहा- ‘मुझे एक घटना याद है। मैं किसी का नाम नहीं लूंगा… उस व्यक्ति ने कहा था कि अगर आप प्रधानमंत्री बनते हैं, तो हम समर्थन करेंगे।’गडकरी ने आगे कहा- ‘मैंने उनसे पूछा कि आप मेरा समर्थन क्यों करेंगे और मुझे आपका समर्थन क्यों लेना चाहिए? पीएम बनना मेरे जीवन का लक्ष्य नहीं। मैं अपनी मान्यता और संगठन के प्रति वफादार हूं। मैं किसी भी पद के लिए समझौता नहीं करूंगा। मेरा निश्चय मेरे लिए सबसे अहम है।