बूंदी। भगवान वामन जयंती भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है, जो भगवान विष्णु के पांचवें अवतार भगवान वामन के जन्म का प्रतीक है।
भगवान वामन की कथा-
भगवान वामन की कथा पुराणों में वर्णित है, जिसके अनुसार भगवान विष्णु ने राक्षस राजा बलि को पराजित करने के लिए वामन अवतार लिया था। भगवान वामन ने बलि से तीन पग भूमि मांगी, जिसे बलि ने देने की प्रतिज्ञा की। भगवान वामन ने अपने तीन पगों में स्वर्ग, मृत्युलोक, और पाताल लोक को मापकर बलि को पराजित किया और अपने अवतार के उद्देश्य को पूरा किया।
भगवान वामन जयंती का महत्व-
भगवान वामन जयंती का महत्व भगवान विष्णु के अवतार के रूप में है, जो हमें सच्चाई, न्याय, और दान के महत्व को सिखाता है। यह पर्व हमें भगवान के प्रति समर्पण और भक्ति की याद दिलाता है।
भगवान वामन जयंती की पूजा विधि-
भगवान वामन जयंती की पूजा विधि में भगवान वामन की पूजा, हवन, और दान का महत्व है। इस दिन विशेष रूप से भगवान वामन की पूजा की जाती है, और हवन एवं दान किया जाता हैं।