*उत्तम तप धर्म*

शांतवीर धर्म स्थल पर जैन मुनि श्रुतेशसागर जी महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए बताया

अपनी संपूर्ण इच्छाओं को रोकना इंद्रियों को रोकना ही उत्तम तप धर्म है

भगवान महावीर ने अपनी तप साधना में बहुत लंबे तक आहार प्राप्त नहीं किया था यही उनकी तप साधना थी आज जन-जन के महावीर के नाम से जाने जाते हैं 

शुद्ध सोना करने के लिए भी सुनार उसे तपन पड़ता है तभी वह शुद्ध सोना होता है खुमार भी कच्ची मिट्टी को अग्नि पर तपाने के बाद ही उसकी मटकी तैयार होती है उससे भी तपना पड़ता है

*भूख से कम खाना आहार सीमित करना*

*क्षुल्लक सुप्रकाश जी महाराज ने* बताया कि महाराज ने बताया कि वास्तविक परिस्थितियों को हम तप समझने लगे हैं इच्छाओं का निरोध करना कितने भी उपवास व्रत करने से हमें इनका लाभ मिलने वाला नहीं है लाभ हमें जीवन में संयम धारण करने से प्राप्त होगा दो प्रकार के तप मुनि ने बताएं बहिरंग तप अंतरंग तक 

बहिरंग तप बाहर की चकाचौंद देखता है अंतरंग तप अपनी आत्मा का ज्ञान को देखता है अपनी भोग की संपूर्ण इंद्रियों पर अपना कंट्रोल करना ही उन्हें रोकना तप धर्म मुनि ने बताया

*रॉयल जैन फ्रेंड्स ग्रुप द्वारा जैन भजनों की प्रतियोगिता संपन्न हुई*

शांति वीर धर्म स्थल पर छठे रोज मंगलाचरण से कार्यक्रम प्रस्तुति हुई

भगवान की आरती प्रतियोगिता संपन्न हुई जिसमें महिलाओं द्वारा आरती सजाकर लाने परप्रथम सेकंड तृतीय पुरस्कार में वितरण किया 

आयोजक ग्रुप द्वारा सबसे अधिक लोगों ने जैन भजन प्रतियोगिता में भाग लिया सभी प्रतियोगिताओं को भजनों पर नंबर काटने के लिए प्रश्न पत्र दिया गया काफी लोगों ने इनाम प्राप्त की

भगवान महावीर का दीप प्रज्वलित महावीर सरावगी आशीष जैन मयंक सोगानी द्वारा दीप प्रचलित किया गया अंशुल कुमार जैन मोडीका ने किया

*दिगंबर जैन समाज प्रवक्ता महावीर कुमार सरावगी*