आमरण अनशन बुधवार को दूसरे दिन रहा जारी

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महावीर कुल्फी सेन्टर - बूंदी

महावीर कुल्फी सेन्टर की और से बूंदी वासियों को दीपावली की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं

- अनशन पर बैठे पूर्व पार्षद नवीन सांखला व गोविंद अग्रवाल के साथ समाजसेवी अजय बंजारा को मिल रहा है अपार समर्थन

- भारी जन समर्थन के बीच आबूरोड की बुनियादी सुविधाओं से सम्बंधित समस्याओं के निराकरण को लेकर शुरू किया गया आमरण अनशन जन आंदोलन बनने की ओर अग्रसर

आबूरोड (सिरोही)। भारी जनसमर्थन के बीच आबूरोड की बुनियादी सुविधाओं से सम्बंधित समस्याओं के निराकरण की मांग को लेकर शुरू किया गया आमरण अनशन लगातार दूसरे दिन बुधवार को भी जारी रहा। अनशन को शहरवासियों, विभिन्न संगठनों और संस्थाओं की ओर से मिल रहे अपार जनसमर्थन से यह जन आंदोलन बनने की ओर तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहा है। दिलचस्प बात तो यह है कि अनशन पर बैठ पूर्व पार्षद नवीन सांखला व गोविंद अग्रवाल के साथ समाजसेवी अजय बंजारा को अपार जनसमर्थन मिल रहा है। समर्थन से सहज ही कयास लगाया जा सकता है कि आबूरोड का हर वाशिन्दा आबूरोड की ज्वलंत समस्याएं उठाने के लिए इनकी न सिर्फ सराहना कर रहा है वरन् इनका मनोबल भी बढ़ा रहा है। शहर के समाज सेवी संगठनों के पदाधिकारी व प्रतिनिधि धरना स्थल पर जाकर उनका फूल-मालाओं से स्वागत कर प्रशासन की घोर विफलता की चर्चा कर रहे हैं। शहर का हर नागरिक इन समस्याओं से जूझ रहा है और वह भी इनका त्वरित निराकरण चाहता है। ऐसी स्थिति में उनके अनशन की यह पहल आबूरोड में नजीर साबित हो रही है। 

आमजन, सामाजिक संगठनों, व्यापार मंडल, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि इनका मनोबल बढ़ाने के लिए अनशन स्थल पर पहुंचकर अनशनकारियों का गर्मजोशी से स्वागत कर रहे हैं। साथ ही सम्पूर्ण समर्थन देने की घोषणा करने में कोई हिचकिचाहट नहीं कर रहे हैं। 

बुधवार को श्री आदर्श कार टैक्सी-ड्राइवर यूनियन, डॉ. अम्बेडकर सेवा समिति, महावीर इंटरनेशनल, संयुक्त व्यापार संघ, सहारा ऑटो यूनियन, अरावली टैक्सी यूनियन, आबूरोड नगर पालिका के जनप्रतिनिधि पार्षद, मुस्लिम सोशल ग्रुप, बसेटा धोबी समाज, वेस्टर्न रेलवे एम्पलॉइज यूनियन आबूरोड, करणी सेना आदि संगठनों ने सम्पूर्ण समर्थन घोषित किया होने का अनशनकारियों ने दावा किया है। उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में आंदोलन की नई रूपरेखा तैयार कर प्रशासन को जगाने का कार्य किया जाएगा। इस मौके पर माधव मारू, नरेन्द्र कच्छावा, शकील कुरेशी, तोलाराम मेघवाल, फारूख, फिरोज खान आदि सहयोगी रहे।