कोटा. विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर जिला प्रशासन, एलन करियर इन्स्टीट्यूट, होप सोसायटी, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, इंडियन अकादमिक ऑफ पीडियाट्रिक्स के संयुक्त तत्वावधान में ‘‘मै भी रखवाला‘‘ परिचर्चा का आयोजन मंगलवार को हुआ। लैंडमार्क सिटी स्थित एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के सम्यक कैंपस स्थित सद्गुण सभागार में रखा गया। कार्यक्रम में विभिन्न संस्थाओं के सदस्य, हॉस्टल एसोसिएशन के सदस्य भी मौजूद रहे। दीप प्रज्जवलन के बाद होप सोसायटी के अध्यक्ष डॉ.एम एल अग्रवाल ने आत्महत्या से जुड़े पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आत्महत्या के कई कारण हो सकते हैं। इन सभी कारणों और इसे रोकने के लिए हो रहे प्रयासों से अवगत करवाने के उद्देश्य से ही यह परिचर्चा रखी गई है। उन्होंने वैश्विक स्तर पर सुसाइड के आंकड़ों पर चर्चा करते हुए कहा कि हर सुसाइड दुखद है लेकिन इसके लिए कोटा को बहुत अधिक बदनाम किया जा रहा है जो कि गलत है। इससे संबंधित समाचारों को प्रमुखता देना भी सुसाइड के लिए दुष्प्रेरित करने के समान ही होता है। कोटा और राजस्थान में देश में हो रही सुसाइड की तुलना में बहुत कम हो रही है। विभिन्न सर्वे रिपोर्ट्स में भी आंकड़ों में कोटा और राजस्थान पीछे है लेकिन फिर भी कोटा में होने वाली हर अनहोली वैश्विक स्तर पर छा जाती है, ऐसा नहीं होना चाहिए। एलन के निदेशक डॉ.गोविन्द माहेश्वरी ने कहा कि इस विषय पर पहले बहुत कम चर्चा होती थी लेकिन अब लग रहा है कि समय के साथ इस विषय को समझा जाना जरूरी है। सोशल मीडिया का उपयोग बहुत हो रहा है, हर कोई अकेला होता जा रहा है। ऐसे में अभिभावकों से जुड़ना, व्यवहारिकता बढ़ाने जैसे कई प्रयास करने होंगे और इसमें भी सोशल मीडिया का उपयोग किया जाना चाहिए। जीवन हर कोई जीना चाहता है। माहौल में सकारात्मकता आए, एक दूसरे को मजबूती दें, इसके लिए मिलकर प्रयास करना होगा। एलन इस संबंध में हर संभव प्रयास कर रहा है। एलन के चीफ साइकोलॉजिस्ट डॉ. हरीश शर्मा ने मानसिकता पर बात करते हुए कहा कि हमें जागरूक रहना होगा। चौकन्ना रहते हुए विद्यार्थियों और परिजनों के व्यवहार को समझना होगा। जब भी कोई सुसाइड होता है तो उससे पहले कई लक्ष्ण नजर आते हैं, इन्हें समझना होगा और उस सोच को वहीं खत्म करना होगा। बच्चे भावनात्मक होने लगे हैं ऐसे में छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना जरूरी है। एलन देश में एकमात्र ऐसा संस्थान है जहां आत्महत्या रोकथाम और विद्यार्थियों की सकारात्मक मानसिकता के लिए हो रहे प्रयासों के चलते पूरा विभाग सनिष्ठ संचालित किया जा रहा है। यहां मनो चिकित्सक, मनोविज्ञानी और विभिन्न क्षेत्रों के काउंसलर्स काम कर रहे हैं। इन प्रयासों के परिणाम नजर भी आने लगे हैं। आत्महत्या रोकथाम के प्रयासों से जुड़े डॉ.हिमांशु शर्मा ने कहा कि कोटा में जिला प्रशासन के निर्देशन में जो प्रयास हो रहे हैं, वो विश्व के किसी अन्य शहर में नहीं हो रहे। आने वाले समय में कोटा एक ऐसी आदर्श स्थिति में आएगा कि कोटा मॉडल की स्टडी होगी और इसे दुनिया स्वीकार करेगी। कोटा में स्टूडेंट की साइकोलॉजी का अध्ययन कर बहुत प्रयोग किए जा रहे हैं। अनुपस्थिति पर ट्रेकिंग, क्लास में व्यवहार पर नजर, मैस, हॉस्टल में विभिन्न अभियान चलाकर विद्यार्थियों को जागरूक किया जा रहा है। कार्यक्रम के अंत में आईएमए के सचिव डॉ.दीपक गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन सचिव डॉ.अविनाश बंसल ने किया। अंत में कार्यक्रम में मौजूद सभी सदस्यों ने सुसाइड रोकथाम के प्रयास करने के लिए शपथ ली।