हम यहां पर आपको बता रहे हैं कि अगर आपकी गाड़ी चोरी हो जाए या फिर उसमें आग लग जाए हो तो किस तरह के कार का पूरा पैसा पा सकते हैं। इसके साथ ही हम यह भी बता रहे हैं कि अगर आपके पास कार इंश्योरेंस फुल रिफंड वाली पॉलिसी है फिर भी आपको क्लेम रिजेक्ट हो जाता है तो उसके पीछे का कारण क्या हो सकता है।

चोर कब और किस गाड़ी को चोरी कर लें जाएं यह कोई नहीं जानता है। गाड़ी के चोरी होने के बाद Car Insurance कंपनी कार मालिक को IDV यानी इंश्योर्ड डिक्लेयर्ड वैल्यू थमा देती है, लेकिन ऑन-रोड कीमत और IDV वैल्यू के बीच लाखों रुपये का अंतर होता है। जिसे देखते हुए हम यहां पर आपको बता रहे हैं कि अगर आपकी कार चोरी या फिर आग लग जाए तो आप इंश्योरेंस कंपनी से IDV Value के बजाय पूरी ऑन-रोड कीमत क्लेम कैसे कर सकते हैं?

क्या होता है RTI?

गाड़ी की पूरी ऑन-रोड कीमत किस तरह से आप पा सकते हैं, इसे जानने से पहले यह जानिए कि आखिर RTI (Return to Invoice Policy) क्या होता है। RTI एक ऐसी इंश्योरेंस पॉलिसी है, जिसमें कंपनी ग्राहकों को वैल्यू (ऑन-रोड) देती है। इस कीमत का इस्तेमाल ग्राहक गाड़ी खरीदने के लिए खर्च करते हैं।

RTI एड-ऑन पॉलिसी जरूर लें

अगर आप गाड़ी के चोरी या आग लगने पर उसकी पूरी ऑन-रोड कीमत लेना चाहते हैं तो इसके लिए आपको RTI एड-ऑन पॉलिसी को जरूर लेना चाहिए। अगर कार मालिक के पास रिटर्न टू इनवॉइस पॉलिसी है तो कंपनी कार मालिक को गाड़ी चोरी या फिर आग लगने पर पूरी ऑन-रोड कीमत देती है। पूरी ऑन-रोड कीमत लेने के लिए भी आपको कुछ पेंच होते हैं, जिन्हें आपको समझना चाहिए।

इतने वर्षों तक मिलता है लाभ

RTI एड-ऑन पॉलिसी को केवल नई गाड़ी खरीदने के बाद तीन वर्षों तक ही लिया जा सकता है। वहीं, कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं, जो 3 से 5 वर्षों तक भी रिटर्न टू इनवॉइस पॉलिसी कार मालिक को ऑफर करती है। कई सरकारी इंश्योरेंस कंपनियां मालिक को केवल गाड़ी की एक्स-शोरूम कीमत ही देती है, तो वहीं कुछ प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियां ग्राहकों को आरटीओ, इंश्योरेंस समेत अन्य खर्चों को जोड़ने के बाद की ऑन-रोड कीमत ऑफर करती हैं।