श्री गोकरुणा चातुर्मास आराधना महोत्सव
भारतवर्ष की धर्म परायण धरा पर मानव शरीर प्राप्त करना सौभाग्य है : मलूक पीठाधीश्वर
रेवासा धाम से कथा हो रही आस्था चैनल और यूट्यूब के जरिए लाइव
रेवदर। श्री गोकरुणा चातुर्मास आराधना महोत्सव में चल रही श्री वेदलक्षणा गोमहिमा श्री भरत चरित्र कथा को मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्रदास जी महाराज ने रेवासा धाम से संबोधित करते हुए कहा कि हम सब भारतवासियों की प्रशंसा देवता करते हैं। यह बहुत आनंद की बात है। इस भारत में मानव रूप में जन्म लेने वालो का कोई पवित्र पुण्य कर्म ही है जो उन्हें भारतवर्ष की धर्म परायण धरा पर मानव शरीर प्राप्त हुआ है। भारत में मानव शरीर प्राप्त करने वालों का सौभाग्य बताते हुए देवता स्पष्ट करते हैं कि हम सब देवताओं के मन में यह इच्छा बनी रहती है कि हम भगवान, गोवंश और संतों की सेवा करें, मगर देवताओं को प्रत्यक्ष रूप से यह सौभाग्य प्राप्त नहीं होता। गोवंश, भगवान और संतों की सेवा करने के लिए भारतवर्ष की धरती पर ही जन्म लेना पड़ता है। प्रत्येक भारतीय को यह सौभाग्य प्राप्त होता है। चातुर्मास में प्रतिदिन होने वाले गौपूजन के मनोरथी हिंडवाडा और मालवाड़ा ग्राम के ग्रामवासी रहे।
भगवान दत्त की विशाल मूर्ति बनी आकर्षण का केंद्र
वरिष्ठ ट्रस्टी हंसराज सनवाड़ा ने बताया कि नंदगांव में पहुंचे गोभक्तो के लिए मनोरमा गोलोक परिसर में दत्त चौक पर लगी विशाल दत्त भगवान और गोमाता की मनमोहक मूर्ति आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। परिसर में स्थित उक्त सर्कल का नाम दत्त चौक रखा गया है।
रेवासा धाम के महाराज हुए देवलोक
रेवासा धाम के महाराज जी देवलोक होने पर मलूक पीठाधिश्वर जी महाराज को अचानक रेवासा जाना पड़ा। इसके बाद से ही मलूक पीठाधीश्वर महाराज ने श्री वेदलक्षणा गौ महिमा भरत चरित्र कथा का निरंतर डिजिटल माध्यम लाइव यूट्यूब के जरिए नंदगांव में सीधा प्रसारण हो रहा है। यह कथा आस्था चैनल और श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा के यूट्यूब चैनल पर सीधी लाइव प्रसारित हो रही है। कथा में सुरजकुंड के पूज्य संत श्री अवधेश चैतन्य जी महाराज, पूज्य महंत चेतनानंदजी महाराज डण्डाली, पूज्य श्री सुधानंद जी महाराज, रविंद्रानंद जी महाराज, बलदेवदास जी महाराज, गोवत्स विट्ठल कृष्ण जी महाराज, गोविंद वल्लभदास महाराज, ब्रह्मचारी मुकुंद प्रकाश महाराज, राममोहनदास जी महाराज, 121 दंडी स्वामी सहित भारतवर्ष के सैकड़ों त्यागी तपस्वी ऋषि
मुनी मौजूद रहे।