केन्द्रीय वित्त मंत्रालय ने हाल ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए राज्यों के साथ बैठक की। इसमें यूपीएस से संबंधित जानकारियां दी गई, वहीं राज्यों के अधिकारियों के सवालों का जवाब भी दिया गया। बैठक में स्पष्ट किया गया कि कर्मचारी के नहीं रहने पर केवल उसी पत्नी को पारिवारिक पेंशन का हकदार माना जाएगा, जो सेवानिवृत्ति के समय पत्नी थी। अब तक निर्धारित नियमों के अनुरूप पत्नी के अलावा विधवा पुत्री, अविवाहित पुत्री, तलाकशुदा पुत्री, नि:शक्त पुत्र-पुत्री व 25 साल तक के बेरोजगार पुत्र जैसी कुछ श्रेणी वालों को भी पारिवारिक पेंशन के लिए हकदार के रूप में माना जाता रहा है। यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) में जमा होने वाला सरकार व कर्मचारियों के अंशदान का पूरा पैसा मार्केट में निवेश किया जाएगा। इसमें से 8.5% हिस्सा रिजर्व फंड में रखा जाएगा। यूपीएस में जमा पूरी राशि केन्द्र सरकार की संबंधित एजेंसी के अधीन रहेगी। ग्रेच्युटी के अतिरिक्त सेवानिवृत्ति पर मिलने वाले एकमुश्त भुगतान के रूप में सेवा के प्रत्येक छह महीने पूरे होने पर वेतन व डीए का 1/10वां हिस्सा दिया जाएगा। इस भुगतान से सुनिश्चित पेंशन की मात्रा कम नहीं होगी, लेकिन कर्मचारी के पुरानी पेंशन योजना की तरह ही कुल जमा का 60 प्रतिशत हिस्सा निकालने पर पेंशन शेष 40 प्रतिशत राशि के हिसाब से ही दी जाएगी।