प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में प्रमुख पदों पर कांग्रेस राज के समय लगे अफसरों के तबादले नहीं होने को लेकर सियासत गर्मा गई है। पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने अब तक अफसरों के तबादले नहीं होने पर सवाल उठाए हैं। गहलोत ने लिखा- तबादला सूची के इंतजार में अब अधिकारियों के बीच भी असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। इसके कारण जनता के काम प्रभावित हो रहे हैं।इस पर मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने पलटवार किया है। राजेंद्र राठौड़ ने कहा- सरकार में आपके द्वारा उच्च पदों पर लगाए गए अधिकारियों का व्यवहार अब आपके अनुकूल नहीं रहा है, इसीलिए आप बदलते परिवेश में ऐसे अधिकारियों का तबादला करवाना चाहते हैं। पूर्व सीएम गहलोत ने एक्स पर लिखा- हमारी सरकार के दौरान भाजपा ने प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी पर तमाम आरोप लगाए थे। हमारी सरकार द्वारा विभिन्न पदों पर IAS, IPS, IFS, RAS, RPS की नियुक्तियों पर भाजपा के साथी अनर्गल टिप्पणियां करते थे।आज सरकार के करीब 8 महीने होने के बाद भी सरकार चलाने वाले प्रमुख पदों पर हमारी सरकार के समय लगाए गए अधिकारी ही काबिज हैं। यह दिखाता है कि हमारी सरकार द्वारा की गईं नियुक्तियां पूरी तरह उचित थीं। भाजपा के आरोप पूरी तरह गलत साबित हुए हैं। गहलोत ने लिखा- तबादला सूची के इंतजार में अब अधिकारियों के बीच भी असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। इसके कारण जनता के काम प्रभावित हो रहे हैं। सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए कि निकट भविष्य में कोई तबादला सूची नहीं आएगी। इससे अधिकारी अनिश्चितता की स्थिति को छोड़कर काम कर सकें। राजेंद्र राठौड़ बोले- आपने ब्यूरोक्रेसी का कांग्रेसी करण करने का प्रयास किया पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने गहलोत को जवाब देते हुए एक्स पर लिखा- गहलोत साहब, आप प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी के तबादले नहीं होने को लेकर चिंतित हैं, यह जानकर आश्चर्य हुआ है। गत कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भाजपा ने भ्रष्टाचार में संलिप्त जिन अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाए थे वो तर्कों और तथ्यों पर आधारित थे। इनकी भाजपा सरकार में गहन जांच हो रही है। बहुत जल्दी उनके खिलाफ उचित कार्रवाई भी होगी। आपने ब्यूरोक्रेसी का कांग्रेसी करण करने का खूब कुत्सित प्रयास किया था, लेकिन अब समय बदल गया है। राठौड़ ने लिखा- लोकसेवकों की निष्ठा सरकार के प्रति होती है, न कि किसी व्यक्ति विशेष और राजनीतिक पार्टी के प्रति। सरकारें बदलती हैं, लेकिन लोक सेवक वहीं रहते हैं। उनकी जिम्मेदारी सरकारी नीतियों के क्रियान्वयन की होती है। हम लोकसेवकों का आकलन उनके काम के आधार पर करते हैं, न कि राजनीतिक दृष्टि से।